हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की मौत का मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया है। बुधवार को भाजपा विधायक दल ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा, जिसमें HPPCL में व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच प्रवर्तन निदेशालय से करवाने और शिमला के पुलिस अधीक्षक को बर्खास्त करने सहित पांच मुख्य मांगें रखी गईं। उच्च न्यायालय के निर्देश पर पहले ही इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपी जा चुकी है।
ज्ञापन में भाजपा ने जोर दिया कि विमल नेगी की मौत से जुड़े मामले में सबूतों से छेड़छाड़ न हो और इन्हें संरक्षित किया जाए। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय में पुलिस महानिदेशक और अन्य की रिपोर्ट में सबूतों से छेड़छाड़ के स्पष्ट प्रमाण हैं। भाजपा ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। साथ ही, शिमला पुलिस अधीक्षक द्वारा उच्च अधिकारियों पर लगाए गए आरोपों की भी CBI जांच कराने पर जोर दिया गया।
भाजपा ने यह भी कहा कि HPPCL में चल रहे कथित भ्रष्टाचार की जांच का दायरा बढ़ाया जाए। यदि CBI के माध्यम से जांच संभव नहीं हो तो इसे प्रवर्तन निदेशालय (ED) को सौंपा जाए। इसके अतिरिक्त, प्रशासनिक अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए शिमला के पुलिस अधीक्षक को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करने की मांग की गई।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि भाजपा शुरू से ही इस मामले में सबूतों को छिपाने और मिटाने की साजिश की बात कह रही थी। परिवार के आग्रह और उच्च न्यायालय के आदेश के बाद ही मामले की जांच CBI को सौंपी गई। जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार के अधिकारी एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं, जो राज्य प्रशासन के गिरते स्तर को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स्वयं प्रेस वार्ता में सबूतों के साथ छेड़छाड़ की पुष्टि कर चुके हैं, ऐसे में सरकार का बने रहना नैतिक रूप से सही नहीं है। जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने की मांग की। इसके साथ ही, उन्होंने शिमला पुलिस अधीक्षक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उन्हें बर्खास्त करने की भी बात कही।
