कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में सांसदों की बैठक बुलाई थी, जिसमें पार्टी के सत्रीय प्रदर्शन का मूल्यांकन होना था। लेकिन सबकी निगाहें शशि थरूर पर टिक गईं, जो केरल के तिरुवनंतपुरम से सांसद हैं। थरूर इस बैठक में नहीं पहुंचे। यह पहला मौका नहीं था; बीते तीन हफ्तों में वे पार्टी की तीन अहम बैठकों से गैरहाजिर रहे, हालांकि हर बार उन्होंने पहले से इसकी सूचना दे दी थी। तकनीकी रूप से यह गैरहाजिरी जायज मानी जाती है और पार्टी उन पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकती।
कांग्रेस थरूर को संदेह की नजर से देखती है क्योंकि वे सरकार द्वारा विदेश भेजे गए प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख भी रहे हैं। बावजूद इसके, थरूर अन्य कार्यक्रमों में भाग लेते हैं और सोशल मीडिया पर अपने विचार साझा करते हैं। कांग्रेस कोई सख्त कदम नहीं उठाती क्योंकि थरूर केरल में बेहद लोकप्रिय हैं और पार्टी उनके खिलाफ कार्रवाई करके चुनावी जोखिम नहीं लेना चाहती। थरूर और पार्टी के अन्य नेताओं के बीच अंदरूनी मतभेद के बावजूद, कांग्रेस उन्हें सदस्य बनाए रखती है। उनकी गैरहाजिरी से कांग्रेस को शर्मिंदगी हो सकती है, लेकिन थरूर अपनी ताकत और लोकप्रियता के चलते पार्टी के लिए चुनौती और अवसर दोनों बने हुए हैं।


