छठ पर्व खत्म होते ही बिहार में चुनावी माहौल पूरी तरह गर्म हो गया है. महागठबंधन ने जहां ‘तेजस्वी प्रण’ के नाम से अपना घोषणापत्र जारी किया है, वहीं एनडीए अगले हफ्ते अपना ‘एजेंडा फॉर गवर्नेंस’ पेश करेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 अक्टूबर और 2 नवंबर को बिहार में कई रैलियां और पटना में एक रोड शो करेंगे.
एनडीए में एक बार फिर नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया गया है। बीजेपी ने स्पष्ट किया है कि “नीतीश थे, हैं और रहेंगे” – यही उनका चुनावी नारा है. जेडीयू नेताओं के अनुसार, नीतीश कुमार का अनुभव, सुशासन और महिला मतदाताओं के लिए किए गए फैसले जैसे आरक्षण, रोजगार योजना और शराबबंदी ने उन्हें मजबूत स्थिति में ला दिया है.
महागठबंधन की ओर से तेजस्वी यादव को सीएम उम्मीदवार बनाए जाने के बावजूद, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश कुमार की प्रशासनिक क्षमता और ‘सुशासन बाबू’ की छवि अभी भी जनता के बीच प्रभावशाली है. यही वजह है कि दो दशक बाद भी वे बिहार की राजनीति के केंद्र में बने हुए हैं.


