भारत ने रूस में हुए बहुपक्षीय सैन्य अभ्यास “जापद 2025” में अपनी भागीदारी को लेकर पश्चिमी देशों की चिंता को सिरे से खारिज कर दिया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने साफ कहा कि यह अभ्यास कई देशों के साथ मिलकर किया गया, जिसमें खुद अमेरिका, तुर्किये और जर्मनी जैसे NATO सदस्य भी पर्यवेक्षक के रूप में शामिल थे. भारत की ओर से इस अभ्यास में सेना का 65 सदस्यीय दल भाग लेने गया था. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस सैन्य अभ्यास का मकसद आपसी सहयोग, तालमेल और युद्ध कौशल का आदान-प्रदान करना था. यह अभ्यास रूस के मुलिनो ट्रेनिंग ग्राउंड में हुआ, जिसमें कुल 23 देशों के प्रतिनिधि और तीन अंतरराष्ट्रीय संगठनों के पर्यवेक्षक भी मौजूद थे.
यूरोपीय संघ की उपाध्यक्ष काया कैलास ने भारत की रूस के साथ सैन्य और ऊर्जा संबंधों पर चिंता जताई थी. इस पर भारत ने जवाब दिया कि उसकी विदेश नीति स्वतंत्र है और वह अपनी ज़रूरतों के मुताबिक फैसले लेता है. भारत ने यह भी दोहराया कि वह कई देशों के साथ रक्षा सहयोग करता है. भारत और यूरोपीय संघ के बीच हाल ही में “नई रणनीतिक साझेदारी एजेंडा” तय हुआ है, जिसमें सुरक्षा, व्यापार और वैश्विक मुद्दों पर मिलकर काम करने का संकल्प लिया गया है. दोनों पक्ष एक संतुलित और लाभकारी मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर भी काम कर रहे हैं.
