गोवा के ‘बर्च बाय रोमियो लेन’ नाइटक्लब में लगी भीषण आग में 25 लोगों की दर्दनाक मौत हुई। घटना के कुछ ही घंटों बाद क्लब के मालिक गौरव और सौरभ लूथरा चुपचाप देश से निकलकर थाईलैंड के लोकप्रिय टूरिस्ट स्थल फुकेट पहुंच गए। इस कदम ने एक बार फिर उन मामलों की ओर ध्यान खींचा है, जहां आरोपी अपराध के बाद विदेश भाग जाते हैं। अक्सर ऐसे मामलों में भारतीय एजेंसियों को उन्हें वापस लाने में काफी मुश्किलें आती हैं।
थाईलैंड के साथ भारत की प्रत्यर्पण संधि 2013 से लागू है, जिससे इन दोनों आरोपियों को भारत लाने की कानूनी राह मौजूद है। हालांकि अभी तक दोनों को भगोड़ा घोषित नहीं किया गया है, जो प्रत्यर्पण प्रक्रिया का पहला कदम होता है। भारत की कई देशों के साथ ऐसी संधियाँ हैं, जिनके आधार पर आर्थिक अपराधियों को वापस लाया जा चुका है।
इस संदर्भ में देश के कई बड़े आर्थिक भगोड़ों—विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और नितिन संदेसरा—के मामले चर्चा में आते हैं, जिन्होंने बैंकों को हजारों करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाया और विदेश में पनाह ली। इन मामलों में प्रत्यर्पण की कानूनी प्रक्रिया लंबी और जटिल रही है। गोवा नाइटक्लब हादसे के बाद अब सवाल उठ रहा है कि क्या लूथरा बंधुओं को भी भारत लाया जा सकेगा और इसमें कितना समय लगेगा।


