लद्दाख: 85 फीसदी नौकरियों में स्थानीयों को आरक्षण, डोमिसाइल नीति बदली

केंद्र सरकार ने मंगलवार को केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिए नई आरक्षण और डोमिसाइल नीतियों की घोषणा की है. नई नीति के तहत लद्दाख में 85 फीसदी नौकरियां स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित होंगी. वहीं, लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषदों में एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएंगी. नई आरक्षण नीति में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों EWS के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण जारी रहेगा.

नए नियमों के अनुसार, जो लोग लद्दाख में 15 साल से रह रहे हैं या जिन्होंने सात साल तक वहां पढ़ाई की और 10वीं या 12वीं की परीक्षा दी, वे लद्दाख के डोमिसाइल माने जाएंगे. इसके अलावा, केंद्र सरकार के कर्मचारी, अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, बैंकों, केंद्रीय विश्वविद्यालयों या मान्यता प्राप्त शोध संस्थानों में काम करने वाले लोग, जिन्होंने लद्दाख में 10 साल तक सेवा दी हो, उनके बच्चे भी डोमिसाइल के लिए पात्र होंगे. डोमिसाइल सर्टिफिकेट का इस्तेमाल लद्दाख में सरकारी नौकरियों के लिए होगा.

लद्दाख के लोगों की चिंताओं को दूर करने के लिए पहली बार जनवरी 2023 में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था. इसने लद्दाख के प्रतिनिधियों के साथ उनकी मांगों का सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने के लिए कई बैठकें कीं. अक्टूबर 2024 में जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक अपनी मांगों को लेकर दिल्ली में अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे थे. उसके बाद तीन दिसंबर 2024 को और फिर इस साल 15 जनवरी और 27 मई को लद्दाख के नागरिक संगठनों के नेताओं के साथ बातचीत की गई.

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