कोलकाता के डॉक्टर के बलात्कार और हत्या मामले में सामने आए ताजा तथ्यों ने एक और बड़े रैकेट का पर्दाफाश कर दिया है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, यह स्पष्ट होता जा रहा है कि यह मामला सिर्फ़ बलात्कार तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे भ्रष्टाचार और आपराधिक गतिविधियों का एक बड़ा जाल फैला हुआ है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) पिछले छह दिनों से आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष से लगातार पूछताछ कर रही है, और सातवें दिन भी पूछताछ जारी रही। इस दौरान डॉ. घोष द्वारा संचालित एक रैकेट के चौंकाने वाले आरोप सामने आए हैं।
आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व डिप्टी सुपरिंटेंडेंट अख्तर अली ने आरोप लगाया है कि संदीप घोष कॉलेज परिसर में एक रैकेट चला रहे थे, जिसमें कई छात्र शामिल थे। उन पर आरोप है कि वे छात्रों को पैसे लेकर परीक्षा में पास करवाते थे, शवों की बिक्री करते थे, और बायोमेडिकल वेस्ट की तस्करी में भी शामिल थे।
इसके अतिरिक्त, घोष पर कोविड-19 महामारी के दौरान ऑक्सीजनेशन मशीनों की खरीद में भ्रष्टाचार, यूजी-पीजी काउंसलिंग में धांधली, और नियुक्तियों में भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे हैं। 13 दिनों से चल रही इस जांच के बावजूद मामला अभी भी अनसुलझा है और नए-नए खुलासे हो रहे हैं।
सीबीआई इस मामले में दो मुख्य आरोपियों, संजय रॉय और डॉ. संदीप घोष, से लगातार पूछताछ कर रही है। संजय रॉय को पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि मामले की जटिलता और भी बढ़ती जा रही है। सीबीआई ने कोलकाता पुलिस की लापरवाही का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट को एक स्थिति रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें पूछताछ किए गए व्यक्तियों का विवरण और अपराध स्थल को ठीक से सुरक्षित न करने की विफलता का उल्लेख किया गया है। रिपोर्ट में संजय रॉय के बयानों की विश्वसनीयता का आकलन करने के लिए किए गए मनोवैज्ञानिक परीक्षण के परिणाम भी शामिल हैं।
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