नागा साधु प्रयागराज के महाकुंभ के बाद काशी पहुंचे हुए हैं. नागा साधु काशी में पंचकोशी परिक्रमा करेंगे. इस पंचकोशी परिक्रमा की शुरुआत पांच मार्च से होगी. ऐसे में आइए जानते हैं कि पंचकोशी परिक्रमा क्या होती है. नागा साधु पंचकोशी परिक्रमा क्यों करते हैं.
पंचकोशी परिक्रमा का अर्थ है पांच प्रमुख तीर्थों की यात्रा करना. पंचकोशी परिक्रमा धार्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. वाराणसी में पंचकोशी परिक्रमा की शुरुआत मणिकर्णिका घाट से होती है. पंचकोशी परिक्रमा कर्दमेश्वर, भीमचंडी, रामेश्वर, शिवपुर, कपिलधारा से होते हुए फिर मणिकर्णिका घाट पर ही खत्म होती है.
पंचकोशी परिक्रमा नागा साधुओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है. पंचकोशी परिक्रमा में नागा साधु और अखाड़ों के संत शामिल होते हैं. पंचकोशी परिक्रमा के दौरान नागा साधु तीर्थ स्थलों के दर्शन करते हैं. साथ ही इस परिक्रमा के दौरान नागाओं को अपने आराध्यदेव के स्थल पर जाने का अवसर भी मिलता है.
मान्यताओं के अनुसार, जो पंचकोशी परिक्रमा करता है उसके सभी पापों का नाश हो जाता है. पंचकोशी परिक्रमा पवित्रता, तपस्या, और भक्ति का प्रतीक मानी जाती है. पंचकोशी परिक्रमा पांच विकारों काम, क्रोध, मोह, मद और लोभ से मुक्ति दिला देती है. जो भी पंचकोशी परिक्रमा करता है उसको सभी तीर्थों के दर्शन के बराबर का पुण्य मिल जाता है.
