अपोलो अस्पताल को आखिर सुप्रीम कोर्ट ने क्यों दी चेतावनी, पढ़िए

अपोलो अस्पताल को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना रुख कड़ा किया है। कोर्ट ने कहा है कि अगर इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में गरीब लोगों को मुफ्त इलाज मुहैया नहीं कराया जाता है तो वो एम्स से इसे अपने अधीन करने को कहेगा. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने अस्तपाल से ये बात कही. बेंच ने लीज समझौते के उल्लंघन को गंभीरता से लिया, जिसके तहत इंद्रप्रस्थ मेडिकल कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा संचालित अस्पताल को एक रुपये के लीज पर जमीन दी गई है.

समझौते के तहत अस्पताल को अपने एक तिहाई गरीब मरीजों और 40 प्रतिशत बाहरी मरीजों को बिना किसी भेदभाव के मुफ्त चिकित्सा और अन्य सुविधाएं मुहैया करानी थी. पीठ ने कहा, यदि हमें पता चला कि गरीब लोगों को मुफ्त इलाज नहीं दिया जा रहा है तो हम अस्पताल को एम्स को सौंप देंगे. कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि अपोलो ग्रुप का अस्पताल दिल्ली के पॉश इलाके में निर्मित है. इसे एक रुपये के लीज पर दिया गया था. नो प्रॉफिट और नो लॉस के फॉर्मूले पर इसे चलाया जाना था, लेकिन ये एक कर्मशियल वेंचर बन गया है, जहां गरीब लोग मुश्किल से इलाज करा पाते हैं.

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