क्या है ट्राई लैंग्वेज विवाद, शिक्षा मंत्री की तमिलनाडु CM को चिट्ठी

ट्राई लैंग्वेज विवाद पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन को लेटर लिखा. उन्होंने राज्य में हो रहे नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) के विरोध की आलोचना की. उन्होंने लिखा, ‘किसी भी भाषा को थोपने का सवाल नहीं है. लेकिन विदेशी भाषाओं पर अत्यधिक निर्भरता खुद की भाषा को सीमित करती है. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) इसे ही ठीक करने का प्रयास कर रही है. NEP भाषाई स्वतंत्रता को कायम रखती है और यह सुनिश्चित करती है कि स्टूडेंट अपनी पसंद की भाषा सीखना जारी रखें.’

धर्मेंद्र प्रधान ने अपने लेटर में मई 2022 में चेन्नई में पीएम मोदी के ‘तमिल भाषा शाश्वत है’ के बायन का जिक्र करते हुए लिखा- मोदी सरकार तमिल संस्कृति और भाषा को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने और लोकप्रिय बनाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. मैं अपील करता हूं कि शिक्षा का राजनीतिकरण न करें.

क्या है ट्राई लैंग्वेज विवाद

तमिलनाडु में नेशनल एजूकेशन पॉलिसी (NEP) का विरोध हो रहा है, क्योंकि इसके तहत हर राज्य के छात्रों को तीन भाषा सीखनी होगी, जिनमें से एक हिंदी होगी. मगर तमिलनाडु में हमेशा 2-लैंग्वेज पॉलिसी रही है, वहां के स्कूलों में तमिल और इंग्लिश ही छात्रों को पढ़ाई जाती है. यहीं केंद्र और तमिलनाडु सरकार के बीच टकराव की वजह बन गया.

केंद्र ने रोका तमिलनाडु का फंड

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का कहना है कि तमिलनाडु को समग्र शिक्षा मिशन के लिए लगभग 2400 करोड़ की धनराशी तब तक नहीं मिलेगी. जब तक कि वह नेशनल एजूकेशन पॉलिसी को पूरी तरह से अपना नहीं लेते हैं. बाद में धर्मेंद्र प्रधान के बयान पर मुख्यमंत्री स्टालिन भड़क गए.

मुख्यमंत्री स्टालिन बोले ‘धमकी सहन नहीं करेंगे’

मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि तमिल लोग ब्लैकमेलिंग या धमकी सहन नहीं करेंगे. अगर राज्य को समग्र शिक्षा के फंड से वंचित किया गया, तो केंद्र को ‘तमिल्स यूनीक नेचर’ यानी तमिलों के मजबूत विरोध का सामना करना पड़ेगा. इसकी बाद से ही केंद्र और तमिलनाडु सरकार के बीच ट्राई लैंग्वेज पॉलिसी और हिंदी को लेकर तीखी बहस छिड़ी हुई है.

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