राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में क्या है अंतर?

उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद देश में एक बार फिर उपराष्ट्रपति चुनाव होने जा रहे हैं. 21 अगस्त तक नामाकंन दाखिल किए जाएंगे और नामांकन पत्रों की जाँच 22 अगस्त को होगी, जबकि नाम वापस लेने की अंतिम तिथि इस महीने की 25 तारीख होगी. मतगणना 9 सितंबर को होगी. आइए जानते हैं राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में क्या फर्क है? 

देश में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दो सबसे अहम संवैधानिक पद हैं. उपराष्ट्रपति संसद के उच्च सदन राज्यसभा के सभापति के तौर पर भी काम करते हैं. हालांकि, इन दोनों पदों के लिए चुनाव देश की जनता सीधे न कर अप्रत्यक्ष तरीके से करती है. यानी इसका चुनाव जनता की बजाय उनके द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि करते हैं. राष्ट्रपति के चुनाव में सांसदों और विधान मंडलों के सदस्य वोट करते हैं.

उपराष्ट्रपति चुनाव में सिर्फ सांसदों को ही वोटिंग का अधिकार होता है. इसके अलावा दोनों में एक और बड़ा फर्क यह भी है कि राष्ट्रपति के चुनाव में किसी भी सदन के मनोनीत सदस्यों को वोटिंग का अधिकार नहीं होता, जबकि उपराष्ट्रपति के चुनाव में राज्यसभा और लोकसभा के मनोनीत सदस्य भी वोट डाल सकते हैं. उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव अधिकारी की भूमिका संसद के दोनों सदनों में किसी एक सदन के महासचिव बारी-बारी से निभाते हैं.

error: Content is protected !!