बिहार में आगामी उपचुनाव के प्रचार अभियान की शुरुआत करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को तरारी में भाजपा उम्मीदवार के समर्थन में एक महत्वपूर्ण बयान दिया। नीतीश ने अपने भाषण में भाजपा के साथ अपने लंबे संबंधों को याद करते हुए कहा, “2005 से हम एक साथ काम कर रहे हैं, भाजपा से हमारा शुरू से ही नाता रहा है और आगे भी रिश्ता कायम रहेगा।” उन्होंने स्वीकार किया कि उनसे दो बार गलती हुई, जब उन्होंने राजद के साथ मिलकर सरकार बनाई, लेकिन बाद में राजद की कार्यशैली बर्दाश्त से बाहर हो गई, जिससे उन्हें भाजपा के साथ वापस लौटने का फैसला लेना पड़ा। नीतीश ने स्पष्ट रूप से कहा कि “अब कोई दाएं-बाएं नहीं होगा।”
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए नीतीश ने कहा, “अटल बिहारी वाजपेयी जी ने मुझे मुख्यमंत्री बनाया था। मैं उनकी सरकार में मंत्री था और उनसे बहुत कुछ सीखा है। अब मिलकर काम करेंगे।” उन्होंने राजद और लालू यादव पर हमला बोलते हुए कहा कि राजद के शासन में शाम होते ही लोग अपने घरों में दुबक जाते थे, जबकि उनकी सरकार ने राज्य में सभी जातियों और समुदायों के लिए विकास के कार्य किए हैं। मुस्लिम समुदाय के लिए मदरसों को सरकारी मान्यता देने और शिक्षकों को सरकारी स्कूल के शिक्षकों के बराबर वेतन देने जैसे कदम उठाए गए हैं।
जनता दल (यूनाइटेड) के 12 लोकसभा सांसदों के साथ नीतीश कुमार की पार्टी एनडीए का प्रमुख सहयोगी है। जनवरी 2023 में एनडीए में वापस लौटने से पहले उन्होंने राजद के साथ मिलकर महागठबंधन सरकार बनाई थी। नीतीश ने 2013 में भाजपा के साथ 17 साल पुराने गठबंधन को समाप्त किया था और 2015 में राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें भारी जीत मिली। हालांकि, यह गठबंधन लंबे समय तक नहीं चला, और नीतीश ने 2017 में एनडीए में वापसी की। 2019 का लोकसभा और 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव भी उन्होंने एनडीए के साथ मिलकर लड़ा, लेकिन 2022 में गठबंधन तोड़कर फिर से महागठबंधन में शामिल हो गए।
नीतीश कुमार के इस बयान ने बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल मचा दी है, जिससे उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर नए कयास लगाए जा रहे हैं।