भारत के लिए यह बेहद गर्व का क्षण है। रोशनी और आनंद का प्रतीक दिवाली अब दुनिया के मंच पर अपनी पहचान दर्ज करा चुकी है। यूनेस्को ने अपनी अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की सूची में दिवाली को औपचारिक रूप से शामिल कर लिया है। बुधवार को जारी इस सूची ने भारत की सांस्कृतिक परंपराओं की चमक को और बढ़ाया है।
इस उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि दिवाली भारतीय संस्कृति की आत्मा है और इसकी वैश्विक मान्यता देश के लिए सम्मान का विषय है। इसी खुशी को और बड़े स्तर पर मनाने के लिए दिल्ली सरकार ने 10 दिसंबर को राजधानी में विशेष समारोह आयोजित करने का निर्णय लिया है। मंत्री कपिल मिश्रा के अनुसार, दिल्ली की सभी सरकारी इमारतें रोशनी से सजाई जाएंगी, दिल्ली हाट में सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे और लाल किले पर हजारों दीये जगमगाएंगे।
लाल किले पर होने वाला आयोजन सबसे प्रमुख होगा, जहां लोगों से बड़ी संख्या में शामिल होने की अपील की गई है ताकि इस ऐतिहासिक पल को और यादगार बनाया जा सके। यह उत्सव न केवल खुशियों का प्रतीक होगा, बल्कि दिवाली का वह वैश्विक संदेश भी प्रसारित करेगा जो अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने की प्रेरणा देता है।
भारत की 15 सांस्कृतिक परंपराएं पहले ही यूनेस्को की अमूर्त धरोहर सूची में शामिल हैं, जिनमें दुर्गा पूजा, कुंभ मेला, वैदिक मंत्रोच्चार, रामलीला और छऊ नृत्य प्रमुख हैं। दिवाली के जुड़ने से इस सूची में भारत की सांस्कृतिक विरासत और भी समृद्ध हो गई है।


