सुप्रीम कोर्ट ने यूनाइटेड वॉइस फॉर एजुकेशन फोरम नामक एक गैर सरकारी संगठन (NGO) पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। अदालत ने NGO द्वारा दायर रिट याचिका को न्यायिक प्रक्रिया का गंभीर उल्लंघन करार देते हुए इसे खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि संवैधानिक पीठ के फैसले को चुनौती देने वाली इस तरह की याचिकाएं पूरी न्यायपालिका की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकती हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि ऐसे कदम से न्याय व्यवस्था कमजोर होगी और अदालतों के आदेशों का महत्व कम हो जाएगा।
जुर्माना उस याचिका के लिए लगाया गया जिसमें NGO ने SC के 2014 के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसने अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को बाल शिक्षा का अधिकार (RTE) कानून, 2009 के प्रावधानों से छूट दी थी। अदालत ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा, “आपकी इस कार्रवाई से न्यायपालिका की कार्यप्रणाली बाधित होगी। क्या आपको इसका ज्ञान नहीं है?” जस्टिस नागरत्ना ने यह भी चेतावनी दी कि ऐसे मामलों में वकीलों को भी अनुचित सलाह देने पर दंडित किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक पीठ के फैसले के खिलाफ कोई भी रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं है और इसे दायर करना न्यायिक प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर आपराधिक अवमानना का मामला दर्ज करने से फिलहाल परहेज किया, लेकिन कड़ा संदेश भी दिया कि न्यायालय के आदेशों की अवहेलना गंभीर परिणाम ला सकती है।


