दिल्ली दौरे से हिमाचल लौटे मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिमला में प्रेस वार्ता की. इस दौरान मुख्यमंत्री ने विमल नेगी की मौत मामले में उच्च न्यायालय के फैसले के बाद प्रदेश में बढ़ी सियासी गर्मी और पुलिस महकमें के अधिकारियों के टकराव पर प्रतिक्रिया दी. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है. लेकिन, भाजपा इसमें पहले दिन से राजनीति कर रही है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार किसी अनुशासनहीनता को स्वीकार नहीं करेगी. पूरे मामले पर अधिकारियों के साथ बैठक बुलाई गई है. मुख्यमंत्री ने शिमला एसपी के खिलाफ डीजीपी की ओर से निलंबन पत्र भेजने की बात नकारी और शिमला स्पीक की ओर से की गई प्रेस वार्ता पर जांच करने की बात कही है. इसी के साथ मुख्यमंत्री ने विमल नेगी मामले में जांच सीबीआई को सौंपने के उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन करने की बात कही है. उन्होंने कहा कि सरकार फैसले के खिलाफ अपील नहीं करेगी.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि विमल नेगी के परिवार को न्याय दिलाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. विमल नेगी की पत्नी के आग्रह पर पुलिस को उनकी खोज के लिए उन्होंने खुद DGP को आदेश दिए थे. मंत्री जगत सिंह नेगी की ओर से की गई परिवार की मांग पर पर डायरेक्टर देसराज को निलंबित किया गया और हरिकेश मीणा को पद से हटाया गया. लेकिन, भाजपा ने इस मामले में राजनीति की. भाजपा नेताओं ने पेखूबेला प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार और विमल नेगी की घटना से जोड़ने का प्रयास किया. भाजपा नेता सूरत नेगी ने राजनीतिक चाल चली और मीडिया ट्रायल के जरिए प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार और विमल नेगी मामले को जोड़ने की कोशिश की.
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी ओर से ख़ुद मामले की जांच के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह को जांच करने की जिम्मेदारी सौंपी गई. ACS होम की की रिपोर्ट में HPPCL अधिकारी विपिन गुलेरिया ने डायरेक्टर देसराज और हरिकेश मीणा पर आरोप लगाए. लेकिन ACS की रिपोर्ट में जिन अधिकारियों पर आरोप थे, उनसे पूछताछ नहीं की गई. भाजपा के नेता इस बीच राजनीति करते रहे और भ्रष्टाचार क्या आरोप लगाते रहे. खासतौर पर वह भाजपा के नेता जो खुद भ्रष्टाचार में लिप्त हैं.


