रक्षा सचिव आर.के. सिंह ने जानकारी दी है कि देश में बने तेजस मार्क 1ए लड़ाकू विमानों की पहली दो यूनिट्स सितंबर के अंत तक भारतीय वायु सेना को सौंप दी जाएंगी. ये जेट्स पुराने मिग-21 विमानों की जगह लेंगे और वायुसेना की लड़ाकू क्षमता को मजबूत करेंगे. फिलहाल भारतीय वायु सेना में 38 तेजस विमान पहले से सेवामें हैं, और 80 अन्य पर निर्माण कार्य जारी है. इनमें से 10 पूरी तरह बन चुके हैं और दो के इंजन भी डिलीवरी के लिए तैयार हैं. सिंह ने बताया कि अगले महीने इसके लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए जाएंगे.
तेजस के निर्माण से हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को आने वाले वर्षों के लिए बड़े ऑर्डर्स मिल गए हैं. इसमें स्वदेशी रडार और हथियारों को भी शामिल किया जाएगा. आत्मनिर्भरता पर ज़ोर देते हुए उन्होंने कहा कि अब यह भारत की रणनीतिक मजबूरी है कि वह अपनी रक्षा ज़रूरतों के लिए विदेशों पर निर्भर न रहे. वर्तमान में भारत अपने रक्षा बजट का 75% हिस्सा घरेलू कंपनियों पर खर्च कर रहा है. ऑपरेशन सिंदूर के अनुभव का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह भारत की वायु रक्षा क्षमताओं के लिए एक सीख साबित हुआ. उन्होंने कहा कि सैन्य-स्तर के ड्रोन निर्माण में अभी और मेहनत की ज़रूरत है, और भारत के निर्माता इसे समझ चुके हैं.
