काफी दिनों तक फरार रहने के बाद, यौन उत्पीड़न और वित्तीय धोखाधड़ी जैसे गंभीर आरोपों का सामना कर रहे स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती को आखिरकार रविवार तड़के 3:30 बजे आगरा के एक होटल से गिरफ्तार कर लिया गया. 62 वर्षीय यह स्वयंभू गुरु, जो दिल्ली के श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट-रिसर्च के पूर्व डायरेक्टर हैं, छात्राओं द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद से पुलिस की पकड़ से बाहर थे.
स्वामी चैतन्यानंद, जिन्हें पार्थसारथी के नाम से भी जाना जाता है, पर संस्थान की 17 से अधिक छात्राओं ने गाली-गलौज, अनुचित स्पर्श और अश्लील संदेश भेजने के गंभीर आरोप लगाए थे. छात्राएं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) से थीं और छात्रवृत्ति पर पढ़ रही थीं. आरोपों के बाद उन्हें उनके पद से हटाया गया और उनके खिलाफ लुक-आउट नोटिस भी जारी किया गया था.
पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने छात्राओं पर देर रात मिलने का दबाव बनाया और उनके मोबाइल पर निगरानी भी रखी. वित्तीय धोखाधड़ी के मामले में भी उन पर गंभीर आरोप हैं. दिल्ली की एक अदालत ने हाल ही में उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी. जांच में सामने आया कि उन्होंने करीब 20 करोड़ रुपये की संपत्ति और ट्रस्ट की रकम में गबन किया था. स्वामी पर फर्जी पासपोर्ट बनाने और लगभग ₹55 लाख की निकासी कर फरार होने का भी आरोप है. अब पुलिस मामले की गहराई से जांच कर रही है.
