बिहार में आगामी चुनाव से पहले राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने एसआईआर (Special Summary Revision) प्रक्रिया को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आधार कार्ड को एक वैध पहचान पत्र के रूप में स्वीकार किया जाए, हालांकि यह नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा.
बिहार में चुनाव आयोग ने फर्जी मतदाताओं की पहचान के लिए एसआईआर प्रक्रिया शुरू की थी, जिसमें 11 दस्तावेजों को पहचान के प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जा रहा था. लेकिन करीब 60 लाख वोटर अपनी पहचान साबित नहीं कर सके. अब सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज के रूप में सूची में जोड़ा जाए और आयोग इस संबंध में आवश्यक निर्देश जारी करे.
कोर्ट ने यह भी कहा कि आयोग के अधिकारी आधार की प्रामाणिकता की जांच कर सकते हैं, लेकिन इसे अकेले पहचान प्रमाण के तौर पर नकारा नहीं जा सकता. RJD और AIMIM ने 1 सितंबर की डेडलाइन को बढ़ाने की मांग की थी, जिस पर कोर्ट ने सहमति जताई कि डेडलाइन के बाद भी प्रक्रिया चालू रहनी चाहिए.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि आयोग द्वारा स्वीकृत 11 दस्तावेजों में से अधिकांश नागरिकता का प्रमाण नहीं हैं, फिर भी आधार को नजरअंदाज किया जा रहा था. अब यह फैसला लाखों वोटरों के लिए राहत लेकर आया है, खासकर उन गरीब नागरिकों के लिए, जिनके पास केवल आधार ही एकमात्र पहचान पत्र है.
