सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र और संबंधित अधिकारियों को दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण कम करने की अपनी कार्ययोजना पर फिर से विचार करने की सलाह दी। मुख्य न्यायाधीश कांत ने कहा कि यह देखना जरूरी है कि अब तक उठाए गए कदम प्रभावी रहे हैं या नहीं, और अगर कोई सुधार हुआ है तो क्या वह पर्याप्त है। न्यायालय ने अधिकारियों से कहा कि अपनी योजना का मूल्यांकन करके ही आगे कदम उठाएं।
सुप्रीम कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से पूछा कि पराली जलाने के अलावा और कौन से कारक वायु प्रदूषण में योगदान दे रहे हैं। अदालत ने कहा कि केवल किसानों को दोष देना आसान है, जबकि वैज्ञानिक विश्लेषण के अनुसार अन्य कारक भी प्रदूषण बढ़ा रहे हैं। न्यायालय ने यह भी पूछा कि कुछ साल पहले नीला आसमान क्यों दिखाई देता था और अब नहीं।
अदालत ने यह स्पष्ट किया कि वायु प्रदूषण मामलों की नियमित सुनवाई की जाएगी, कम से कम महीने में दो बार। इस मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी। इसी दौरान, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, सोमवार सुबह दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 299 पर पहुंच गया, जो रविवार शाम 279 था। पिछले दो दिनों से वायु गुणवत्ता “खराब” श्रेणी में बनी हुई है।


