सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कलकत्ता हाई कोर्ट को उस टिप्पणी के लिए फटकार लगाई जिसमें हाई कोर्ट ने पिछले साल किशोरियों से कहा था कि उन्हें अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए। इस टिप्पणी के साथ ही आरोपी को बरी कर दिया गया था, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जजों को अदालत में अपनी निजी राय नहीं रखनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया था
दरअसल, पिछले साल हाई कोर्ट द्वारा किशोरियों को दी गई इस सलाह पर सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जताई थी और स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मामले को उठाया था। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि बच्चों को यौन अपराधों से बचाने के लिए बनाए गए POCSO अधिनियम के तहत मामलों की सुनवाई करते समय अदालतों को निर्देशों का पालन करना चाहिए। इसके साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा कि अदालतों को फैसले लिखते समय कैसे सावधानी बरतनी चाहिए, इस पर भी निर्देश जारी किए गए हैं।
मामले का पूरा विवरण
2023 में, कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान किशोरियों को सलाह दी थी कि उन्हें अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए और क्षणिक सुख के लिए अपने भविष्य को खतरे में नहीं डालना चाहिए। साथ ही, हाई कोर्ट ने नाबालिग लड़कों को भी युवा लड़कियों की गरिमा का सम्मान करने की सलाह दी थी। इसके बाद आरोपी को बरी कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए, दिसंबर में हुई सुनवाई के दौरान कहा था कि जजों को अपनी व्यक्तिगत राय अदालत में नहीं व्यक्त करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने अब आरोपी को दोषी करार दिया है और यह आदेश किशोरियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।