नेपाल में Gen-Z विरोध प्रदर्शन में अब तक 51 लोगों की मौत

नेपाल में बीते दिनों से जारी हिंसक विरोध-प्रदर्शनों के बाद शुक्रवार को हालात कुछ हद तक शांत नजर आए, लेकिन राजनीतिक संकट और नेतृत्व का टकराव अब भी बरकरार है. सोशल मीडिया बैन के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन अब भ्रष्टाचार के खिलाफ जनविद्रोह में तब्दील हो चुका है. अब तक हिंसा में 51 लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें गाजियाबाद की एक भारतीय महिला और नेपाल पुलिस के तीन जवान भी शामिल हैं.

काठमांडू में हालात सुधर रहे, सड़कों पर सेना की निगरानी

राजधानी काठमांडू समेत अन्य प्रमुख शहरों में धीरे-धीरे जनजीवन पटरी पर लौट रहा है. सड़कों पर सेना गश्त कर रही है और हर वाहन की सघन तलाशी ली जा रही है. कई दुकानों ने दोबारा काम शुरू कर दिया है, जबकि स्थानीय नागरिक सड़कों से मलबा हटाने में जुटे हैं.

भारत ने शुरू किया रेस्क्यू, गाजियाबाद की महिला की दर्दनाक मौत

भारत सरकार ने नेपाल में फंसे नागरिकों को निकालने का अभियान तेज कर दिया है. आंध्र प्रदेश के 140 से अधिक लोगों को काठमांडू से विशेष फ्लाइट के ज़रिए वापस लाया गया, जबकि सोनौली और पनितांकी बॉर्डर से भी कई भारतीय स्वदेश लौटे हैं. इसी बीच गाजियाबाद की राजेश देवी गोला की दर्दनाक मौत ने सभी को झकझोर दिया. वह काठमांडू के हयात होटल में अपने पति के साथ ठहरी थीं, जब प्रदर्शनकारियों ने होटल को आग लगा दी. जान बचाने के लिए उन्होंने खिड़की से कूदने की कोशिश की. पति को हल्की चोटें आईं, लेकिन राजेश देवी गंभीर रूप से घायल हो गईं और अस्पताल में दम तोड़ दिया.

नेतृत्व को लेकर रस्साकशी, सुशीला कार्की बन सकती हैं अंतरिम प्रधानमंत्री

राजनीतिक मोर्चे पर हलचल तेज है. केपी शर्मा ओली सरकार के गिरने के बाद पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने की चर्चा ज़ोर पकड़ रही है. सूत्रों के मुताबिक, नेपाली सेना और जनरेशन Z के प्रतिनिधियों के बीच देर रात बैठक में इस पर गंभीर चर्चा हुई. हालांकि, आंदोलन के विभिन्न गुटों में मतभेद भी उभर कर आए हैं. एक धड़ा सुशीला कार्की का समर्थन कर रहा है, जबकि दूसरा कुलमान घिसिंग को समर्थन दे रहा है, जिन्हें नेपाल के बिजली संकट का समाधानकर्ता माना जाता है.

शनिवार को अहम बैठक, देश-विदेश की नजरें टिकीं

शनिवार को सेना और जनरेशन Z के नेताओं के बीच दूसरे दौर की बातचीत होगी. इसमें संसद भंग करने और अंतरिम सरकार के गठन पर अंतिम सहमति की उम्मीद है. यह बैठक केवल नेपाल ही नहीं, बल्कि पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगाहों में केंद्रबिंदु बनी हुई है.

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