रुपया पिछले 10 दिनों में फिर से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गया है। सोमवार को इंटरबैंक फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में रुपया 89.79 पर बंद हुआ, जो दिन के कारोबार में 34 पैसे की गिरावट को दर्शाता है। डॉलर की मजबूती, अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में वृद्धि, कच्चे तेल की कीमतों में तेजी और विदेशी निवेशकों की लगातार निकासी के कारण रुपए पर दबाव बना रहा।
विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिका के साथ व्यापारिक देरी, स्थानीय बाजार में डॉलर की उच्च मांग और तेल व सोने की खरीद ने भी रुपया कमजोर करने में योगदान दिया है। फिनरेक्स ट्रेजरी के अनिल कुमार भंसाली ने बताया कि एफपीआई द्वारा कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने, केंद्र और कॉर्पोरेट्स द्वारा रिफंड व रीपेमेंट जैसे कारण भी मुद्रा पर दबाव डाल रहे हैं।
डॉलर इंडेक्स 99.50 पर मजबूत हुआ, जबकि ब्रेंट क्रूड वायदा 63.60 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। घरेलू शेयर बाजार भी दबाव में रहा; सेंसेक्स 85,584.09 और निफ्टी 26,156.60 पर बंद हुआ। विदेशी निवेशकों ने शुक्रवार को शुद्ध आधार पर लगभग 3,796 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। विशेषज्ञों का अनुमान है कि रुपए में और गिरावट आ सकती है और यह 90 के स्तर तक पहुँच सकता है।


