नई दिल्ली, 15 अगस्त 2025 – स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से दिए गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की तारीफ पर विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध जताया है। पीएम मोदी ने आरएसएस को “गौरवपूर्ण इतिहास” वाला संगठन और दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ बताते हुए इसके स्वयंसेवकों की राष्ट्र सेवा की सराहना की। उन्होंने कहा कि संघ ने बीते 100 वर्षों में व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण तक काम किया है।
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इसे स्वतंत्रता संग्राम का अपमान करार देते हुए कहा कि आरएसएस और इसके वैचारिक सहयोगियों ने कभी आजादी की लड़ाई में हिस्सा नहीं लिया और महात्मा गांधी से उतनी नफरत की जितना उन्होंने ब्रिटिशों का विरोध नहीं किया। ओवैसी ने आरोप लगाया कि हिंदुत्व की विचारधारा संविधान के मूल्यों के विपरीत है और संघ परिवार देश में नफरत और बंटवारा फैला रहा है, जो चीन से भी बड़ा आंतरिक खतरा है। उन्होंने सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री आरएसएस की तारीफ नागपुर जाकर कर सकते थे, लेकिन ऐसा लाल किले से क्यों किया गया।
वहीं, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने भी पीएम मोदी के बयान को “अत्यंत अफसोसनाक” बताया। सीपीआई(एम) महासचिव एम.ए. बेबी ने कहा कि आरएसएस का ऐतिहासिक रिकॉर्ड संदिग्ध है, इसका स्वतंत्रता आंदोलन में कोई योगदान नहीं रहा और महात्मा गांधी की हत्या के बाद इस पर प्रतिबंध लगाया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस ने लगातार धार्मिक आधार पर राष्ट्रीय एकता को कमजोर करने और सांप्रदायिक हिंसा भड़काने की भूमिका निभाई है।
दोनों नेताओं ने आरोप लगाया कि स्वतंत्रता दिवस के मंच से आरएसएस की प्रशंसा करना शहीदों की याद और स्वतंत्रता आंदोलन की भावना का अपमान है।