नई दिल्ली: संसद में शुक्रवार, 9 अगस्त को यह सवाल उठा कि देश की सेना में ड्यूटी के दौरान शहीद हुए जवानों की पेंशन का अधिकार किसे मिलना चाहिए—पत्नी को या माता-पिता को? इस मुद्दे पर कांग्रेस सांसद इमरान मसूद द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में केंद्र सरकार ने अपनी स्थिति स्पष्ट की।
रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि शहीद जवान की फैमिली पेंशन को पत्नी और माता-पिता के बीच बांटने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है।
सेना का प्रस्ताव और माता-पिता की मांग
रक्षा राज्यमंत्री ने यह भी जानकारी दी कि सेना ने इस विषय पर रक्षा मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा है। इस प्रस्ताव में शहीद जवानों के माता-पिता ने आर्थिक मदद के लिए कानून में संशोधन की मांग की है।
वर्तमान नियमों के अनुसार, शहीद जवान की ग्रेच्युटी, प्रॉविडेंट फंड, बीमा और एक्स ग्रेशिया की राशि नॉमिनेशन या वसीयत के आधार पर दी जाती है। हालांकि, पेंशन की राशि विवाहित शहीद जवान की पत्नी को दी जाती है, जबकि अविवाहित जवान की पेंशन उसके माता-पिता को मिलती है।
मुद्दा क्यों उठा?
हाल के वर्षों में शहीद जवानों की पेंशन को लेकर कई परिवारों ने शिकायतें की हैं। कई मामलों में यह देखा गया है कि पेंशन और अन्य सुविधाएं शहीद जवान की पत्नी को मिल जाने के बाद माता-पिता आर्थिक रूप से असहाय हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त, कुछ मामलों में पत्नियों के साथ अभद्रता, घर से निकाले जाने की शिकायतें, या जबरन दूसरी शादी के दबाव जैसी समस्याएं सामने आई हैं।
इन सभी परिस्थितियों के कारण, शहीद जवान के माता-पिता और पत्नी के लिए न केवल भावनात्मक बल्कि आर्थिक सहारे की भी आवश्यकता होती है। यही वजह है कि यह मुद्दा हालिया समय में चर्चा का केंद्र बना हुआ है।