लखनऊ/श्रीनगर, 11 अप्रैल 2025:
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के खिलाफ देश भर में विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है। शुक्रवार को लखनऊ में शिया धर्मगुरु मौलाना सैयद कल्बे जवाद के नेतृत्व में आसिफी मस्जिद में जुमे की नमाज के बाद प्रदर्शन किया गया। वहीं श्रीनगर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए विरोध मार्च को पुलिस ने रोक दिया।
लखनऊ में मौलाना जवाद का तीखा हमला
प्रदर्शन के दौरान मौलाना कल्बे जवाद ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू पर तीखा हमला करते हुए कहा कि “इन नेताओं का असली चेहरा सामने आ गया है। ये नकली धर्मनिरपेक्षतावादी हैं और अब आरएसएस की विचारधारा में शामिल हो चुके हैं। इन्हें सबक सिखाना जरूरी है।”
उन्होंने आगे कहा कि भारत का धर्मनिरपेक्ष ढांचा खतरे में है और सभी धर्मनिरपेक्ष नागरिकों—मुस्लिम और गैर-मुस्लिम—को इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। उन्होंने चेताया कि “आज मुसलमान निशाने पर हैं, कल दलितों की बारी आएगी।” इसके साथ ही उन्होंने सऊदी अरब के मदीना में जन्नतुल बकी कब्रिस्तान को ध्वस्त किए जाने का विरोध किया और उसे पुनः निर्माण की मांग की।
श्रीनगर में पीडीपी का मार्च रोका गया
श्रीनगर में पीडीपी के कार्यकर्ताओं ने अधिनियम के विरोध में मार्च निकालने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें पार्टी मुख्यालय से बाहर नहीं जाने दिया। पार्टी महासचिव खुर्शीद आलम के नेतृत्व में कार्यकर्ता शेर-ए-कश्मीर पार्क स्थित कार्यालय में एकत्र हुए थे। पुलिस ने कार्यालय के गेट पर अवरोधक लगाकर प्रदर्शनकारियों को भीतर ही रोक दिया।
प्रदर्शनकारियों के हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर ‘हम वक्फ विधेयक को अस्वीकार करते हैं’ और ‘नेकां की चुप्पी आपराधिक है’ जैसे नारे लिखे हुए थे। यह अधिनियम बीते सप्ताह संसद में पारित हुआ था, जिसके बाद से ही देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध शुरू हो गया है।
विपक्ष और धार्मिक संगठनों की आपत्तियां
विपक्षी दलों और धार्मिक नेताओं का आरोप है कि वक्फ संशोधन अधिनियम वक्फ संपत्तियों की स्वायत्तता और अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर सीधा हमला है। उनका कहना है कि सरकार इस कानून के जरिए धार्मिक संस्थाओं पर नियंत्रण बढ़ाना चाहती है।