राष्ट्रपति मुर्मू का बयान: भ्रष्टाचार के खिलाफ तुरंत और प्रभावी कानूनी कार्रवाई जरूरी

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) द्वारा आयोजित सतर्कता जागरूकता सप्ताह के समापन समारोह में कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ त्वरित और प्रभावी कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता है। उनका मानना है कि देरी से या कमजोर कार्रवाई से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है और समाज में विश्वास कमजोर होता है।

राष्ट्रपति मुर्मू ने इस अवसर पर कहा, “भ्रष्टाचार समाज में विश्वास को नष्ट करता है और लोगों में भाईचारे की भावना को कमजोर कर देता है। यह न केवल आर्थिक प्रगति में बाधा है, बल्कि यह देश की एकता और अखंडता पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है।” उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ त्वरित और ठोस कार्रवाई बेहद जरूरी है, क्योंकि समय पर और प्रभावी कदम न उठाए जाने से भ्रष्ट व्यक्तियों को सहूलियत मिलती है और उन्हें प्रोत्साहन मिलता है।

भ्रष्टाचार पर त्वरित कार्रवाई का महत्व

राष्ट्रपति मुर्मू ने आगे कहा कि सरकार के कामकाज में जनविश्वास बनाए रखना बेहद महत्वपूर्ण है। “जब सरकार की नीतियों और कल्याणकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार घुस जाता है, तो यह लोगों के बीच अविश्वास पैदा करता है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि कानूनी कार्रवाई को न केवल तेज़ किया जाना चाहिए, बल्कि यह निष्पक्ष और संवेदनशील भी होनी चाहिए। “हमारी प्राथमिकता समाज में न्याय और समानता स्थापित करना होनी चाहिए, और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा का सम्मान हो।”

भारत सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी पहलें

राष्ट्रपति मुर्मू ने भारत सरकार की भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए कदमों का भी उल्लेख किया। उन्होंने विशेष रूप से डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) और ई-निविदा जैसी डिजिटल पहलों को उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत किया, जो पारदर्शिता बढ़ाने और भ्रष्टाचार को रोकने में सहायक सिद्ध हो रही हैं।

इसके अलावा, राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में धनशोधन रोकथाम अधिनियम के तहत भारत सरकार ने लगभग 12 अरब डॉलर की अवैध संपत्तियां जब्त की हैं, जो सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर नीति को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। “भारत सरकार की भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त न करने की नीति ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत कदम उठाए हैं,” उन्होंने कहा।

इस बयान से राष्ट्रपति ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराया और इस मुद्दे पर समाज और शासन के सभी स्तरों पर एकजुट प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया।