केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को भारतीय स्टार्टअप ग्रुप्स से कहा कि वे अब ग्रोसरी डिलीवरी और आइसक्रीम बनाने से आगे बढ़ें. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि स्टार्टअप्स सेमीकंडक्टर, मशीन लर्निंग, एआई, रोबोटिक्स जैसे उन्नत क्षेत्रों में काम करें. उन्होंने सवाल किया, “क्या हम डिलीवरी बॉय बनकर ही खुश रहेंगे? क्या यही भारत की दिशा है? ये स्टार्टअप नहीं, सिर्फ कारोबार है. दूसरी ओर देखिए, चीन जैसे देश रोबोटिक्स, मशीन लर्निंग, 3D मैन्युफैक्चरिंग और भविष्य की फैक्ट्रियों पर काम कर रहे हैं.”
केंद्रीय मंत्री के इस बयान से विवाद बढ़ता नजर आ रहा है. अब पीयूष गोयल के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए जेप्टो के सह-संस्थापक आदित पालिचा ने एक्स पर पोस्ट किया, उन्होंने कहा कि भारत में उपभोक्ता इंटरनेट स्टार्टअप की आलोचना करना आसान है, खासकर जब आप उनकी तुलना अमेरिका/चीन में बन रही गहरी तकनीकी उत्कृष्टता से करते हैं. हमारे उदाहरण का उपयोग करते हुए, वास्तविकता यह है: लगभग 1.5 लाख वास्तविक लोग आज ज़ेप्टो पर आजीविका कमा रहे हैं.
उन्होंने आगे कहा एक ऐसी कंपनी जो 3.5 साल पहले अस्तित्व में नहीं थी. सरकार को प्रति वर्ष ₹1,000+ करोड़ का कर योगदान, देश में एक बिलियन डॉलर से अधिक का FDI लाया गया और भारत की बैकएंड आपूर्ति श्रृंखलाओं (विशेष रूप से ताजे फलों और सब्जियों के लिए) को व्यवस्थित करने में सैकड़ों करोड़ का निवेश किया गया. अगर यह भारतीय नवाचार में चमत्कार नहीं है, तो मैं ईमानदारी से नहीं जानता कि क्या है.
आदित्य पालिचा ने पूछा भारत के पास अपना खुद का बड़े पैमाने का आधारभूत AI मॉडल क्यों नहीं है? ऐसा इसलिए है क्योंकि हमने अभी भी बेहतरीन इंटरनेट कंपनियाँ नहीं बनाई हैं. पिछले 2 दशकों में ज़्यादातर तकनीक-आधारित नवाचार उपभोक्ता इंटरनेट कंपनियों से उत्पन्न हुए हैं. क्लाउड कंप्यूटिंग को किसने आगे बढ़ाया? Amazon (मूल रूप से एक उपभोक्ता इंटरनेट कंपनी). आज AI में बड़े खिलाड़ी कौन हैं? Facebook, Google, Alibaba, Tencent आदि (सभी ने उपभोक्ता इंटरनेट कंपनियों के रूप में शुरुआत की).
उपभोक्ता इंटरनेट कंपनियाँ इस नवाचार को आगे बढ़ाती हैं क्योंकि उनके पास इसके पीछे लगाने के लिए सबसे अच्छा डेटा, प्रतिभा और पूंजी है. अगर हम कभी भी महान तकनीकी क्रांतियों का हिस्सा बनना चाहते हैं तो हमें इंटरनेट में महान स्थानीय चैंपियन बनाने की ज़रूरत है जो FCF में सैकड़ों मिलियन डॉलर कमा रहे हैं. स्टार्टअप इकोसिस्टम, सरकार और भारतीय पूंजी के बड़े पूल के मालिकों को इन स्थानीय चैंपियनों के निर्माण का सक्रिय रूप से समर्थन करने की ज़रूरत है, न कि उन टीमों को पीछे धकेलने की जो वहाँ पहुँचने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं.
