संसद ही सर्वोच्च, इससे ऊपर कोई नहीं: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत के संविधान में निर्धारित शासन व्यवस्था के ढांचे के भीतर न्यायपालिका की भूमिका और उसकी सीमाओं पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि संसद सर्वोच्च है और प्रतिनिधि (सांसद) यह तय करने का अंतिम अधिकार रखते हैं कि संविधान कैसा होगा, उनके ऊपर कोई भी नहीं हो सकता.

जगदीप धनखड़ ने कहा कि आपातकाल लगाने वाले प्रधानमंत्री को 1977 में जवाबदेह ठहराया गया था. इसलिए, इस बारे में कोई संदेह नहीं होना चाहिए – संविधान लोगों के लिए है और यह इसकी सुरक्षा का भंडार है निर्वाचित प्रतिनिधि. वे संविधान की सामग्री के बारे में अंतिम स्वामी हैं. संविधान में संसद से ऊपर किसी भी प्राधिकारी की कल्पना नहीं की गई है. संसद सर्वोच्च है और ऐसी स्थिति में, मैं आपको बता दूं, यह देश के प्रत्येक व्यक्ति जितना ही सर्वोच्च है.

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने यह भी कहा कि लोकतंत्र में बातचीत और खुली चर्चा बहुत जरूरी है. अगर सोचने-विचारने वाले लोग चुप रहेंगे तो इससे नुकसान हो सकता है. उन्होंने कहा, “संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को हमेशा संविधान के मुताबिक बोलना चाहिए. हम अपनी संस्कृति और भारतीयता पर गर्व करें. देश में अशांति, हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना सही नहीं है. जरूरत पड़ी तो सख्त कदम भी उठाने चाहिए.

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