सलमान खान की घड़ी पर उठे विवाद पर बोले प्रतीक गांधी – ‘धर्म इतना कमजोर नहीं कि एक चीज़ से बंध जाए’

सलमान खान द्वारा राम मंदिर एडिशन घड़ी पहनने पर उठे विवाद को लेकर अब अभिनेता प्रतीक गांधी ने अपनी राय रखी है। उन्होंने बिना किसी लाग-लपेट के कहा कि धर्म किसी एक चीज़ से बंधने या छोटा होने जैसा नहीं है। प्रतीक ने इस मामले में विवाद खड़ा करने वालों पर भी तंज कसा है।

प्रतीक गांधी का बयान – ‘धर्म को छोटा या कमजोर ना समझें’

अपनी आने वाली फिल्म ‘फुले’ के प्रमोशन के दौरान मीडिया से बातचीत में प्रतीक गांधी ने कहा, “मैं इस मुद्दे की गहराई में नहीं गया हूं, लेकिन एक नजरिया जरूर है। बचपन से हमने यही सीखा है कि कोई भी धर्म इतना छोटा या कमजोर नहीं होता कि किसी एक रंग या चीज़ से बंध जाए। जो लोग इसका मुद्दा बना रहे हैं, उन्होंने धर्म का ठेका खुद ही ले लिया है।”

ज्योतिबा फुले की बायोपिक में दिखेंगे प्रतीक

प्रतीक गांधी जल्द ही समाज सुधारक ज्योतिबा फुले की बायोपिक ‘फुले’ में नजर आने वाले हैं, जो 11 अप्रैल को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है। उन्होंने बताया कि इस किरदार को निभाना उनके लिए आसान नहीं था, क्योंकि ज्योतिबा फुले की कोई वीडियो उपलब्ध नहीं है, और उन्हें केवल पेंटिंग्स के आधार पर अपने किरदार को गढ़ना पड़ा।

वेब सीरीज़ ‘गांधी’ पर अपडेट

प्रतीक ने अपनी बहुप्रतीक्षित वेब सीरीज ‘गांधी’ को लेकर भी अपडेट दिया। उन्होंने बताया कि इसका पहला सीज़न शूट हो चुका है और अब पोस्ट-प्रोडक्शन का काम चल रहा है। उम्मीद है कि यह सीरीज इसी साल रिलीज की जाएगी। प्रतीक ने इसे अपने करियर की सबसे बड़ी सीरीज बताया।

“रिस्क ना लेना ही सबसे बड़ा रिस्क है”

नए किरदारों को निभाने को लेकर जब प्रतीक से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा, “स्कैम सीरीज में मेरा एक डायलॉग था – ‘रिस्क ना लेना ही सबसे बड़ा रिस्क है।’ इस फील्ड में जो कलाकार जोखिम नहीं लेता, वह ज्यादा टिक नहीं पाता।”

दर्शकों पर भी साधा निशाना

प्रतीक गांधी ने यह भी कहा कि दर्शक बहुत जल्दी किसी कलाकार को जज कर लेते हैं। उन्होंने कहा, “अगर किसी ने कुछ रोल रिपीट कर लिए तो लोग कह देते हैं कि इसे कुछ और आता ही नहीं। इसलिए मैं खुद को हर बार चुनौती देना पसंद करता हूं।”

सलमान खान की घड़ी से शुरू हुआ यह विवाद अब धर्म और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर एक बड़ी बहस का रूप लेता दिख रहा है। वहीं, प्रतीक गांधी का संतुलित और स्पष्ट नजरिया इस बहस में एक अहम आवाज बनकर सामने आया है।

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