असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बताया कि राज्य सरकार ने जमीन के लेन-देन को लेकर नया नियम (SOP) लागू किया है. अब अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति को जमीन बेचता है, तो यह अंतर-धार्मिक सौदा माना जाएगा और इसके लिए विशेष जांच प्रक्रिया से गुजरना होगा.
कौन-कौन से सौदे इसमें शामिल होंगे?
हिंदू से मुस्लिम को या मुस्लिम से हिंदू को जमीन बेचना
किसी भी धर्म (जैसे ईसाई, बौद्ध, जैन आदि) के बीच जमीन का लेन-देन
मुख्यमंत्री ने क्यों बताया ज़रूरी?
सीएम सरमा ने कहा कि असम एक संवेदनशील राज्य है, और दो धर्मों के बीच जमीन का लेन-देन सामाजिक और सुरक्षा के लिहाज से बहुत अहम होता है। इसलिए इन सौदों की गहराई से जांच ज़रूरी है.
क्या है पूरी प्रक्रिया?
आवेदन: सबसे पहले अंचल अधिकारी (Circle Officer) के पास आवेदन जमा होगा.
प्रारंभिक जांच: अधिकारी प्रस्ताव को उपायुक्त (DC) को भेजेगा.
यदि दोनों पक्ष एक ही धर्म के हों: सामान्य प्रक्रिया चलेगी, कोई खास जांच नहीं होगी.
अगर अंतर-धार्मिक सौदा हो:
डीसी फाइल को राजस्व विभाग भेजेगा
राजस्व विभाग का अधिकारी इसे असम पुलिस की विशेष शाखा को भेजेगा
विशेष शाखा चार बातों की जांच करेगी:
जमीन के कागज़ असली हैं या नहीं
खरीदार का पैसा कहां से आ रहा है (काला धन तो नहीं?)
सौदे से समाज में कोई तनाव तो नहीं होगा
राष्ट्रीय सुरक्षा को कोई खतरा तो नहीं है
रिपोर्ट मिलने के बाद: डीसी अंतिम फैसला लेगा कि सौदे को मंजूरी देनी है या नहीं.
मंजूरी मिलने पर: जमीन खरीदार के नाम कर दी जाएगी.
एनजीओ के लिए नियम:
मुख्यमंत्री ने बताया कि असम के बाहर के एनजीओ अगर राज्य में जमीन खरीदना चाहते हैं, तो उन्हें भी यह प्रक्रिया पूरी करनी होगी. कुछ बाहरी एनजीओ (जैसे केरल के) ज़मीन खरीदकर संस्थान चलाते हैं जो बाद में सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं. हालांकि, जो एनजीओ पहले से असम में रजिस्टर्ड हैं, उन्हें इस सख्त जांच से छूट दी गई है.


