CDSCO के नए नियमों से दवा उत्पादन संकट में, छोटी और मझोली कंपनियां परेशान

जनऔषधि केंद्रों और आम दुकानों पर मिलने वाली सस्ती और सामान्य जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति पर संकट गहरा गया है. मध्य प्रदेश की लगभग 200 छोटी और मझोली दवा कंपनियों सहित पूरे देश की करीब 5,000 दवा कंपनियों के उत्पादन बंद होने का खतरा पैदा हो गया है. यह गंभीर समस्या हाल ही में केंद्रीय औषधि नियंत्रण संगठन (CDSCO) द्वारा जारी किए गए एक आदेश के कारण उत्पन्न हुई है.

सीडीएससीओ ने निर्देश दिया है कि दशकों से बाजार में उपलब्ध और व्यापक रूप से इस्तेमाल हो रही अधिकांश दवाओं के लिए कंपनियों को फिर से लाइसेंस हासिल करना अनिवार्य होगा. इसके साथ ही कंपनियों को उन दवाओं पर बायो-इक्विलेंस (BE) टेस्ट करवाना होगा, जो सामान्यत: नई दवाओं के लॉन्च से पहले किए जाते हैं. यह टेस्ट दवाओं की जैवसमानता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है, जिसमें प्रयोगशाला परीक्षण और मरीजों पर क्लीनिकल ट्रायल शामिल होते हैं.

यह नियम विशेष रूप से कैटेगरी दो और चार की दवाओं पर लागू किया गया है, जिनमें सामान्य बीमारियों के इलाज के लिए उपयोग होने वाली दवाएं शामिल हैं. अधिकांश कंपनियां पिछले 25-30 वर्षों से इन दवाओं का उत्पादन कर रही हैं, लेकिन अब बिना BE टेस्ट के उन्हें उत्पादन जारी रखने की अनुमति नहीं मिलेगी. जब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक इन कंपनियों को उत्पादन रोकना होगा, जिससे दवाओं की कमी और आपूर्ति में बाधा आ सकती है.

दवा कंपनियों ने इस आदेश को न केवल अचानक और परेशान करने वाला बताया है, बल्कि इसे छोटे और मध्यम उद्योगों को समाप्त करने की साजिश भी कहा है. उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से इस फैसले को वापस लेने की मांग की है, ताकि देश में दवाओं की सस्ती उपलब्धता बनी रहे.

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