बिरसिंहपुर पाली स्थित संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र की सबसे बड़ी 500 मेगावाट यूनिट गंभीर तकनीकी खराबी के चलते बंद पड़ी है. रोटर में आई बड़ी खराबी के कारण इसे दो साल तक पुनः चालू करना संभव नहीं लग रहा. मरम्मत का जिम्मा संभाल रही कंपनी ने स्पष्ट कर दिया है कि वह रोटर की कार्यक्षमता की कोई गारंटी नहीं दे सकती.
बार-बार हो रही तकनीकी समस्याएं
यह कोई पहला मौका नहीं है जब इस केंद्र की यूनिटें लंबे समय के लिए ठप हुई हों. इससे पहले 210 मेगावाट की एक यूनिट भी लगभग 11 महीने बंद रही थी. लाखों-करोड़ों की मरम्मत के बावजूद बिजली उत्पादन में स्थिरता नहीं आ पाई है.
प्रबंधन और जवाबदेही पर सवाल
मुख्य अभियंता और ठेकेदारों की मिलीभगत के आरोप भी सामने आ रहे हैं. यूनिटों के मेंटेनेंस और क्वालिटी कंट्रोल में लापरवाही के चलते यह स्थिति बार-बार बन रही है. तकनीकी गड़बड़ियों पर कोई सख्त कार्रवाई न होने से यह केंद्र प्रदेश की बिजली व्यवस्था के लिए समस्या बनता जा रहा है.
बिजली आपूर्ति पर असर
प्रदेश की बड़ी बिजली जरूरतें इसी केंद्र से पूरी होती हैं. 500 मेगावाट यूनिट के बंद रहने से बिजली उत्पादन में गिरावट आएगी, जिससे कटौती और महंगी बिजली खरीद की नौबत आ सकती है.
मांग: जिम्मेदारी तय हो
विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक मरम्मत कार्यों की स्वतंत्र जांच और अभियंताओं व ठेकेदारों की जवाबदेही तय नहीं की जाएगी, तब तक यह समस्याएं दोहराई जाती रहेंगी.
