नागपुर में विजयादशमी पर मोहन भागवत ने हिंदुओं को एजुट होने का दिया संदेश

न्यूज़ फ्लिक्स भारत। हर साल की भांति इस साल भी विजयादशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने शस्त्र पूजन का आयोजन किया. नागपुर में संघ मुख्यालय पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने शस्त्र पूजा की. शस्त्र पूजा के दौरान इसरो के पूर्व प्रमुख डॉ. के. राधाकृष्णन मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे साथ ही इसरो के पूर्व प्रमुख के सिवन, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़नवीस भी उपस्थित रहे.

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने इस अवसर पर सभी देशवासियों को विजयादशमी की हार्दकि शुभकामनाएं दीं और देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने का संकल्प लिया. इस दौरान उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति पर भी प्रतिक्रिया दी. RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हमारे पड़ोसी बांग्लादेश में जो हुआ? उसके कुछ तात्कालिक कारण हो सकते हैं, लेकिन जो लोग चिंतित हैं, वे इस पर चर्चा करेंगे. लेकिन, उस अराजकता के कारण, हिंदुओं पर अत्याचार करने की परंपरा वहां दोहराई गई. पहली बार, हिंदू एकजुट हुए और अपनी रक्षा के लिए सड़कों पर उतरे. लेकिन, जब तक क्रोध में आकर अत्याचार करने की यह कट्टरपंथी प्रवृत्ति होगी – तब तक न केवल हिंदू, बल्कि सभी अल्पसंख्यक खतरे में होंगे. उन्हें पूरी दुनिया के हिंदुओं से मदद की जरूरत है. यह उनकी जरूरत है कि भारत सरकार उनकी मदद करे. अगर हम कमजोर हैं, तो हम अत्याचार को आमंत्रित कर रहे हैं. हम जहां भी हैं, हमें एकजुट और सशक्त होने की जरूरत है.

उन्होंने आगे कहा कि परिस्थितियां कभी चुनौतीपूर्ण होती हैं तो कभी अच्छी… मानव जीवन भौतिक रूप से पहले से अधिक खुशहाल है लेकिन हम देखते हैं कि इस खुशहाल और विकसित मानव समाज में भी कई संघर्ष जारी हैं. इजरायल और हमास के बीच जो युद्ध शुरू हुआ है – हर कोई इस बात को लेकर चिंतित है कि यह कितना व्यापक होगा और इसका दूसरों पर क्या प्रभाव पड़ेगा.

उन्होंने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए आरजी कर मेडिकल कॉलेज का भी जिक्र किया. कोलकाता के आरजी कर अस्पताल की घटना पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि द्रौपदी के वस्त्र का हरण हुआ, तो महाभारत जैसे युद्ध हो गया. सीता हरण हुआ, तो रामायण हो गया. कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में जो हुआ वह लज्जित करने वाला हो गया है. ऐसा नहीं होना चाहिए था, होने के बाद भी वहां जिस तरह की टालमटोली हुई वह अपराध और राजनीति के गठबंधन को दिखाता है. बता दें कि आरएसएस की स्थापना साल 1925 को विजयदशमी के दिन डॉ. बलराम हेडगेवार ने की थी. संघ की स्थापना को 99 साल पूरे हो रहे हैं. साल 1925 से लेकर अब तक हर वर्ष आरएसएस द्वारा विजयादशमी के दिन शस्त्र पूजना का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है.

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