मणिपुर के जिरीबाम जिले से आई एक दर्दनाक घटना ने सभी को झकझोर दिया है। गुरुवार रात को एक 31 वर्षीय आदिवासी महिला के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और फिर उसे जिंदा जला दिया गया। हमलावरों ने गांव में भीषण फायरिंग करते हुए लूटपाट और आगजनी की। इस दौरान 17 घर जलकर खाक हो गए।
पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करते हुए “नस्लीय और सामुदायिक आधार पर बलात्कार और हत्या” का उल्लेख किया है। पीड़िता के पति ने आरोप लगाया कि यह क्रूरता अवैध घुसपैठियों की ओर से की गई है, हालांकि हमलावरों की पहचान अब तक नहीं हो पाई है। पुलिस सूत्रों का मानना है कि हमलावर मणिपुर के स्थानीय क्षेत्रों से हो सकते हैं।
गांव में फैला आतंक
इंडिजिनस ट्राइबल एडवोकेसी कमेटी (ITAC) ने बताया कि हमलावरों ने गांव में घुसते ही घरों में आग लगा दी और फायरिंग शुरू कर दी, जिससे ग्रामीण जान बचाने के लिए जंगल की ओर भागने लगे। इसी बीच एक महिला हमलावरों के कब्जे में आ गई और उसकी बर्बरता से हत्या कर दी गई। यह घटना मणिपुर में जातीय संघर्ष के तहत बढ़ती हिंसा की एक और भयावह तस्वीर बन गई है।
मणिपुर में जातीय संघर्ष की गंभीर स्थिति
मणिपुर में चल रहा जातीय संघर्ष राज्य को विभाजन के कगार पर पहुंचा चुका है। बहुसंख्यक मैतेई और आदिवासी कुकी समुदायों के बीच बढ़ते टकराव ने पूरे राज्य में हिंसा फैला दी है। अब तक इस संघर्ष में करीब 230 लोगों की मौत हो चुकी है, और लगभग 50,000 लोग बेघर हो चुके हैं। इस ताजा घटना ने मणिपुर की स्थिति को और गंभीर बना दिया है।
आदिवासी संगठनों की केंद्र से हस्तक्षेप की मांग
घटना के बाद आदिवासी संगठनों ने केंद्र सरकार से मणिपुर में कुकी-जोमी-हमार समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है। चुराचांदपुर के आदिवासी संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने इस जघन्य अपराध के दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है। इसके पहले भी मणिपुर में हो रही हिंसा को देखते हुए गृह मंत्रालय ने हस्तक्षेप का प्रयास किया था, लेकिन हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं।