न्यूज़ फ्लिक्स भारत। देशभर में आज 2 अक्टूबर यानी गाँधी जयंती मनाई जा रही है। हिमाचल की राजधानी शिमला में भी गाँधी जयंती पर कार्यक्रम आयोजित किये गए। यहां पर कांग्रेस सहित अन्य नेताओं ने महात्मा गाँधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। बता दें कि महात्मा गाँधी का शिमला के साथ खास नाता रहा है। ब्रिटिश हुकूमत के दौरान शिमला राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कर्मस्थली भी रही है. देश को आजादी मिलने से पहले गाँधी ने शिमला की दस यात्राएं कीं. खास बात यह है कि हिमाचल के राज्य अतिथिगृह पीटरहॉफ में गांधी वध का मुकदमा चला था, जो उस समय पंजाब हाईकोर्ट कहलाता था।
1921 में पहली बार शिमला आए थे गाँधी
महात्मा गांधी की पहली शिमला यात्रा वर्ष 1921 में हुई. इस दौरान वे चक्कर में शांत कुटीर में ठहरे थे. तब ये मकान होशियारपुर के साधु आश्रम की संपत्ति थी. महात्मा गांधी ने दूसरी व तीसरी यात्रा 1931 में हुई. इस यात्रा में वे जाखू में फरग्रोव इमारत में ठहरे. इस समय ये मच्छी वाली कोठी के नाम से विख्यात है. रिज मैदान पर महात्मा गांधी की प्रतिमा के पृष्ठ भाग पर उनकी शिमला यात्राओं का विवरण दर्ज है, परंतु इसमें भी उनकी वर्ष 1939 की दो यात्राओं का ब्यौरा नहीं है. वर्ष 1939 में महात्मा गांधी ने दो बार शिमला की यात्राएं की थीं.
डगशाई जेल में बिताए थे 2 दिन
हिमाचल से भी गांधी का गहरा नाता रहा है. वह कई बार ब्रिटिश भारत की समर कैपिटल शिमला आए थे. इसके अलावा, सोलन की डगशाई छावनी में मिलिट्री जेल भी गांधी जी के हिमाचल आने की गवाह है. जानकारी के अनुसार, अंग्रेज इस जेल में बागी सैनिकों को रखते थे. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इस जेल में दो दिन बिताए थे. वे यहां बतौर कैदी नहीं, बल्कि जेल में बंद आयरिश कैदियों से मिलने आए थे. वहीं, गांधीजी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को भी इस जेल में रखा गया था. माना जाता है कि गोडसे जेल में अंतिम कैदी थे।