पुणे की 300 करोड़ रुपये की मुंडवा जमीन घोटाले की जांच रिपोर्ट सामने आ गई है, लेकिन इसमें नया मोड़ भी आया है। महाराष्ट्र के डिप्टी CM अजित पवार के बेटे पार्थ पवार का नाम जांच रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया है। संयुक्त IGR राजेंद्र मुंठे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति ने सब रजिस्ट्रार रविंद्र तारू समेत तीन लोगों को दोषी ठहराया है। समिति ने अपनी रिपोर्ट IGR रविंद्र बिनवाडे को सौंपी, जो इसे आगे पुणे डिविजनल कमिश्नर चंद्रकांत पुलकुंदवार को भेजेंगे।
रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि पार्थ पवार का नाम किसी भी दस्तावेज में नहीं है, इसलिए उन्हें दोषी नहीं माना गया। पुणे की मुंडवा स्थित 40 एकड़ सरकारी जमीन को अमाडिया एंटरप्राइजेज LLP को बेचने और स्टांप ड्यूटी में 21 करोड़ रुपये की छूट देने के मामले में तीन सीधे शामिल अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया गया। सरकार ने अमाडिया एंटरप्राइजेज को 42 करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी की वसूली के लिए नोटिस भेजा है, जिसमें कंपनी को अपना पक्ष रखने के लिए सात दिन का समय दिया गया है।
राजस्व विभाग और सेटलमेंट कमिश्नर की अन्य जांच रिपोर्टें भी तैयार हैं, जिन्हें अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) विकास खर्गे को भेजा जाएगा। ये रिपोर्टें मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा बनाई गई छह सदस्यीय समिति के अधीन जांच के लिए भेजी जाएंगी। सरकार ने इस विवादित जमीन डील को पहले ही रद्द कर दिया है। इस रिपोर्ट से स्पष्ट हुआ कि पार्थ पवार इस मामले में सीधे तौर पर दोषी नहीं ठहराए गए हैं, जबकि प्रशासनिक अधिकारियों की जवाबदेही तय की गई है।


