मध्य प्रदेश सरकार ने मदरसों से संबंधित एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। स्कूल शिक्षा विभाग ने हाल ही में एक आदेश जारी किया है, जिसके तहत मदरसों में पढ़ रहे छात्रों के भौतिक सत्यापन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। आदेश में कहा गया है कि यदि किसी मदरसे में गैर-मुस्लिम या मुस्लिम बच्चों के नाम फर्जी तरीके से दर्ज पाए जाते हैं या यदि बच्चों को उनके अभिभावकों की अनुमति के बिना धार्मिक शिक्षा दी जा रही है, तो ऐसी संस्थाओं की मान्यता रद्द कर दी जाएगी।
स्कूल शिक्षा विभाग ने बताया कि प्रदेश के मदरसों में कई गैर-मुस्लिम बच्चों के नाम फर्जी तरीके से छात्र/छात्राओं के रूप में दर्ज हैं, ताकि शासकीय अनुदान प्राप्त किया जा सके। इसके मद्देनजर, भौतिक सत्यापन की आवश्यकता महसूस की गई है।
आदेश में निम्नलिखित निर्देश दिए गए हैं:
- भौतिक सत्यापन: मध्य प्रदेश मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त मदरसों का भौतिक सत्यापन किया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि शासन से अनुदान प्राप्त करने के लिए फर्जी तरीके से गैर-मुस्लिम या मुस्लिम बच्चों के नाम दर्ज नहीं हैं। यदि ऐसा पाया जाता है, तो अनुदान बंद करने, मान्यता समाप्त करने और दांडिक प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी।
- संविधानिक प्रावधान: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 28 (3) के अनुसार, किसी राज्य से मान्यता प्राप्त या राज्य निधि से सहायता प्राप्त शैक्षिक संस्था में धार्मिक शिक्षा देने या धार्मिक उपासना में शामिल होने के लिए व्यक्ति को तब तक बाध्य नहीं किया जा सकता जब तक कि उसने या उसके अवयस्क अवस्था में होने पर उसके अभिभावक ने अनुमति न दी हो।
- कार्यवाही: यदि मान्यता प्राप्त या राज्य निधि से सहायता प्राप्त मदरसों में बच्चों को उनकी (या यदि वे अवयस्क हैं तो उनके अभिभावकों) की स्पष्ट सहमति के बिना धार्मिक शिक्षा दी जा रही है, तो सभी शासकीय अनुदान बंद करने की कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, मान्यता समाप्त करने और अन्य वैधानिक कार्यवाही की जाएगी।
स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने बताया कि मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों के भौतिक सत्यापन की रिपोर्ट जल्द उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि अगर गैर-मुस्लिम या मुस्लिम बच्चों के नाम फर्जी तरीके से दर्ज पाए जाते हैं, या किसी भी धर्म के बच्चे को बिना अभिभावकों की अनुमति के दीनी तालीम दी जा रही है, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।