लद्दाख की राजधानी लेह में बुधवार को हुई हिंसा के बाद कांग्रेस पार्षद फुंतसोग स्टैंजिन त्सेपग पर मामला दर्ज किया गया है। इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई और करीब 90 लोग घायल हुए। घटना के दौरान प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय और लद्दाख हिल काउंसिल सचिवालय में आग लगा दी।
कांग्रेस पार्षद पर कार्रवाई
हिंसा के बाद लेह जिले में कर्फ्यू लगा दिया गया है और हालात काबू में रखने के लिए आईटीबीपी, सीआरपीएफ और स्थानीय पुलिस को तैनात किया गया है। कर्गिल में भी बंद के आह्वान के चलते पाबंदियां लगाई गई हैं। यह विरोध लेह एपेक्स बॉडी (LAB) के नेतृत्व में चल रहे आंदोलन के तहत हुआ, जो पिछले पांच सालों से लद्दाख को राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा की मांग कर रहा है। कई प्रदर्शनकारी 10 सितंबर से भूख हड़ताल पर थे।
केंद्र का आरोप: वांगचुक ने भड़काई भीड़
गृह मंत्रालय ने हिंसा के लिए जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया है। मंत्रालय का कहना है कि वांगचुक ने अपने भाषणों में लोगों को भड़काया और अरब स्प्रिंग व नेपाल के प्रदर्शनों का हवाला देकर आंदोलनकारियों को भ्रामक तरीके से उकसाया। वांगचुक 15 दिनों से भूख हड़ताल पर थे और हिंसा के बाद इसे समाप्त कर दिया।
‘भीड़ को वांगचुक ने गुमराह किया’
गृह मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, “कई नेताओं ने वांगचुक से हड़ताल खत्म करने की अपील की, लेकिन उन्होंने अरब स्प्रिंग और नेपाल के आंदोलनों का उल्लेख कर लोगों को भड़काया। उनके बयानों से प्रभावित भीड़ ने भूख हड़ताल स्थल छोड़कर राजनीतिक दल के दफ्तर और सीईसी के सरकारी कार्यालय पर हमला कर दिया।” मंत्रालय ने साफ कहा कि हिंसा में शामिल भीड़ वांगचुक के उत्तेजक बयानों से प्रभावित थी।
लद्दाख में बढ़ती नाराजगी
गौरतलब है कि 2019 में अनुच्छेद 370 हटने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटे जाने के बाद से लद्दाख प्रत्यक्ष केंद्रीय शासन को लेकर नाराजगी जता रहा है। लोग राज्य का दर्जा और अपनी भूमि, संस्कृति व संसाधनों की रक्षा के लिए संवैधानिक गारंटी की मांग कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर एक उच्च स्तरीय समिति बनाई थी, लेकिन वार्ता अब तक सफल नहीं रही। अगली बैठक 6 अक्टूबर को प्रस्तावित है, जबकि प्रदर्शनकारी इससे पहले बातचीत की मांग कर रहे हैं।