कोल्हापुरी चप्पल एक पारंपरिक भारतीय फुटवियर है जो महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले से जुड़ी हुई है. यह चप्पल मुख्य रूप से हाथ से बनी होती है और इसे असली चमड़े से तैयार किया जाता है. इसकी खासियत है इसकी मजबूत बनावट, पारंपरिक डिजाइन और बिना कील या सिलाई के तैयार किया जाना.
इसका इतिहास 12वीं सदी तक जाता है, जब इसे ‘चप्पल’ की बजाय ‘पैदल पहनावा’ कहा जाता था. इसे सबसे पहले स्थानीय कारीगरों ने बनाना शुरू किया और मराठा योद्धा इन्हें पहना करते थे. कोल्हापुरी चप्पल को राजा-रजवाड़ों के दरबार में भी काफी पसंद किया जाता था.
समय के साथ इस चप्पल की लोकप्रियता न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी फैल गई. आज यह एक फैशन स्टेटमेंट बन चुकी है और कई डिजाइनर्स भी इसे मॉडर्न टच देकर प्रस्तुत कर रहे हैं. कोल्हापुरी चप्पल को GI टैग भी मिला हुआ है, जिससे इसकी विशिष्टता को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली है. यह सिर्फ एक चप्पल नहीं, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बन चुकी है.
