सुप्रीम कोर्ट ने कैश बरामदगी मामले की जांच रिपोर्ट को चुनौती देने वाली इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका खारिज कर दी है. दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे न्यायमूर्ति वर्मा ने दिल्ली स्थित अपने आवास से जली हुई नकदी की बरामदगी की जांच करने वाली जांच समिति की रिपोर्ट को अमान्य ठहराने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था. जस्टिस वर्मा ने उन्हें पद से हटाने की चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की सिफारिश का भी विरोध किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट दोनों ही बातों को कानूनी रूप से सही कहा है.
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता का आचरण भरोसा जगाने वाला नहीं है. उन्होंने पहले इन हाउस कमेटी का विरोध नहीं किया. कमेटी की जांच में शामिल भी हुए, लेकिन जब कमेटी की रिपोर्ट खिलाफ आ गई, तब कमेटी को अवैध बताने लगे. पीठ ने कहा कि हमने माना है कि मुख्य न्यायाधीश द्वारा प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को पत्र भेजना असंवैधानिक नहीं था.
14 मार्च, 2025 को जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर आग लगी थी. उस समय वह दिल्ली हाई कोर्ट के जज थे. आग बुझने के बाद पुलिस और दमकल कर्मियों को वहां बड़ी मात्रा में जला हुआ कैश दिखा. सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने 22 मार्च को मामले की जांच के लिए 3 जजों की कमेटी बनाई. कमेटी ने 4 मई को सौंपी रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा को दुराचरण का दोषी कहा. 8 मई को चीफ जस्टिस ने रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजी और कार्रवाई की सिफारिश की.
