नई दिल्ली।
कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हर वर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को बड़े हर्षोल्लास और भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में समर्पित होता है, जब भक्त व्रत रखते हैं, मंदिरों में भजन-कीर्तन, झांकियों और माखन-मिश्री का भोग लगाते हैं। मध्यरात्रि के समय श्रीकृष्ण जन्म की लीलाएं देखी जाती हैं और भक्त अपने परिजनों और मित्रों को शुभकामनाएं भेजते हैं।
इस बार जन्माष्टमी 2025 को और भी विशेष बनाने के लिए लोग पारंपरिक और आध्यात्मिक तरीके अपना रहे हैं। संस्कृत भाषा में शुभकामनाएं भेजकर न केवल भक्ति का भाव व्यक्त किया जा सकता है, बल्कि भारतीय संस्कृति से जुड़ाव भी गहराया जा सकता है।
यहाँ कुछ सुंदर और भावपूर्ण संस्कृत शुभकामनाएं दी गई हैं, जिन्हें आप अपने अपनों को भेज सकते हैं:
1.
सुखवसाने त्विदमेव सारं
दुखवसाने त्विदमेव गयम्।
देहावसाने त्विदमेव जप्यं
गोविंद दामोदर माधवेति॥
शुभेच्छाः – जय श्रीकृष्णः! जन्माष्टमी महोत्सवस्य शुभाशयाः।
भावार्थ: सुख के अंत में भी, दुःख के अंत में भी और जीवन के अंत में भी एक ही नाम सर्वोपरि है – गोविंद, दामोदर, माधव।
2.
सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः।
श्रीकृष्णः सर्वत्र रक्षतु।
जन्माष्टमी शुभकामनाः।
भावार्थ: सभी सुखी रहें, सभी रोगमुक्त रहें और श्रीकृष्ण सबकी रक्षा करें।
इस जन्माष्टमी पर आप भी इन संस्कृत संदेशों के माध्यम से अपने परिवार, मित्रों और सगे-संबंधियों को प्रेम और आशीर्वाद से भरी शुभकामनाएं भेज सकते हैं।
जन्माष्टमी भोग विशेष:
अगर आप कान्हा के लिए घर पर मथुरा स्टाइल में ताजा माखन बनाना चाहते हैं, तो यह अवसर बिल्कुल उपयुक्त है। माखन-मिश्री का भोग भगवान श्रीकृष्ण को विशेष रूप से प्रिय है।
जय श्रीकृष्ण!
शुभ जन्माष्टमी!