न्यूज़ फ्लिक्स भारत। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 5 दिसंबर 2024 को PROBA-3 मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया. यह मिशन इसरो और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के बीच एक सहयोगी परियोजना है. मिशन का उद्देश्य सूर्य के अध्ययन और अंतरिक्ष विज्ञान में नई जानकारियों का पता लगाना है. PROBA-3 मिशन के तहत दो उपग्रहों को लॉन्च किया गया है, जो पृथ्वी की कक्षा में एक निश्चित दूरी पर एक साथ काम करेंगे. इन उपग्रहों का प्राथमिक उद्देश्य सूर्य के कोरोनाग्राफ (Corona) का अध्ययन करना है. यह तकनीक सूर्य के बाहरी परतों और उसके व्यवहार की विस्तृत जानकारी प्रदान करती है. मिशन का यह प्रयास खगोलीय घटनाओं जैसे सौर तूफानों और उनके प्रभाव को समझने में मदद करेगा.
इसरो ने इस मिशन को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से PSLV-C55 रॉकेट की मदद से लॉन्च किया. दोनों उपग्रहों को अत्यधिक सटीकता के साथ कक्षा में स्थापित किया गया. इस मिशन में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया गया है, जो इसरो की बढ़ती तकनीकी क्षमताओं और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को दर्शाता है. PROBA-3 मिशन वैज्ञानिकों को न केवल सूर्य के रहस्यों को उजागर करने में मदद करेगा, बल्कि यह पृथ्वी के वायुमंडल और अंतरिक्ष के बीच के संबंधों को समझने में भी सहायक सिद्ध होगा.
PROBA -3 में भेजे जाने वाले सैटेलाइट्स आपस में जुड़े हुए होंगे, जिन्हें अंतरिक्ष में अलग किया जाएगा. इसमें दो मुख्य हिस्से होंगे. एक हिस्सा प्रयोगात्मक होगा और दूसरा हिस्सा परिस्थिति उत्पन्न करने का कार्य करेगा. प्रयोगात्मक हिस्से में एक कोरोना ग्राफ होगा, जो सूर्य के कोरोना की तस्वीरें लेगा. दूसरा हिस्सा एक आकल्टर डिस्क होगा, जो करीब 1.4 मीटर आकार का है और 150 मीटर की दूरी से कोरोना ग्राफ के लेंस पर 8 सेंटीमीटर की छवि बनाएगा.