आगरा में पकड़े गए नकली दवाओं के मामले में अब तमिलनाडु से कनेक्शन सामने आया है. एसटीएफ की पूछताछ में आरोपी हिमांशु अग्रवाल ने खुलासा किया है कि वह चेन्नई से कई ब्रांडेड कंपनियों की दवाएं मंगवाता था, जिनमें एंटी-एलर्जिक, मधुमेह, दर्द निवारक और जुकाम की दवाएं शामिल थीं. इन दवाओं पर फर्जी क्यूआर कोड और बैच नंबर लगाकर बेचा जा रहा था.

सहायक औषधि आयुक्त अतुल उपाध्याय ने बताया कि आरोपी जायडस, सन फार्मा, ग्लेनमार्क और सनोफी समेत करीब 10 कंपनियों के नाम से नकली दवाएं चेन्नई से मंगवाता था. जांच में सामने आया कि असली और नकली दवाओं में पहचान कर पाना मुश्किल था, क्योंकि पैकिंग एक जैसी थी। बिक्री के लिए फर्जी फर्मों का उपयोग किया जा रहा था.
देशभर में फैला है नेटवर्क
जांच में यह भी सामने आया है कि आगरा से नकली दवाओं की आपूर्ति 11 राज्यों — यूपी, एमपी, राजस्थान, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, पंजाब, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, हरियाणा और हिमाचल तक होती थी. नशे के लिए उपयोग किए जाने वाले कफ सिरप की कालाबाजारी बांग्लादेश तक फैली है. पिछले दस वर्षों में एसटीएफ, ड्रग विभाग और एंटी नारकोटिक्स फोर्स ने करीब ₹300 करोड़ की नकली दवाएं जब्त की हैं। आगरा में नकली दवाओं की फैक्ट्रियां भी पकड़ी गईं हैं.

