ऑस्ट्रेलिया स्थित लोवी इंस्टीट्यूट के नवीनतम एशिया पावर इंडेक्स में भारत ने महत्वपूर्ण छलांग लगाते हुए एशिया की तीसरी प्रमुख शक्ति का दर्जा हासिल किया है। यह उन्नति भारत की लगातार बढ़ रही आर्थिक क्षमता, सुदृढ़ सैन्य तैयारी और वर्ष 2025 में संचालित ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के सफल प्रदर्शन का परिणाम मानी जा रही है। पिछले वर्ष तक ‘मिडल पावर’ श्रेणी में रहने वाला भारत इस बार 40 अंकों तक पहुँचा और जापान तथा रूस जैसे देशों को पीछे छोड़ आगे निकल गया।
हालाँकि अमेरिका (80.5) और चीन (73.7) के मुकाबले भारत अभी भी काफी दूरी पर है, लेकिन आर्थिक निवेश, विदेशी पूँजी के प्रवाह और सैन्य क्षमता के बेहतर आकलन ने उसकी स्थिति को मजबूत बनाया है। आर्थिक संबंधों के क्षेत्र में भारत नौवें स्थान पर पहुँचा है, जबकि सैन्य शक्ति के मानदंडों पर भी उसकी रैंकिंग में सुधार हुआ है।
चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं। रक्षा साझेदारी नेटवर्क में भारत दो स्थान फिसलकर 11वें पायदान पर आ गया है, जहाँ फिलीपींस और थाईलैंड उससे आगे निकल गए। यह संकेत है कि भारत को क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग को और मजबूत करने की ज़रूरत है। कुल मिलाकर, यह रिपोर्ट बताती है कि भारत अब एशिया की शक्ति संरचना को नए सिरे से आकार देने में सक्षम हो रहा है। हालांकि, महाशक्ति बनने तक आर्थिक सुधार, प्रौद्योगिकी उन्नयन और रक्षा साझेदारियों को और गति देना आवश्यक रहेगा।


