न्यूज़ फ्लिक्स भारत। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने नगर निगम शिमला प्रशासन पर सख्ती दिखाई है. दरअसल नगर निगम शिमला ने सर्कुलर रोड पर लिफ्ट के समीप आजीविका भवन का निर्माण किया है. इस भवन में तिब्बती समुदाय सहित अन्य कारोबारियों को दुकानें आवंटित की गई हैं. शिकायत आई है कि कुछ लोगों ने दुकानों को सबलेट यानी आगे किराए पर दे दिया है. इस पर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए कहा है कि ये एक गंभीर मामला है. हाईकोर्ट ने नगर निगम शिमला के कमिश्नर को मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लेने के आदेश भी जारी किए हैं.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने मामले को गंभीर बताते हुए कहा कि यदि किसी ने दुकान को आगे किसी को किराए पर यानी सबलेट किया होगा, तो उक्त परिसर को सील कर दिया जाएगा. साथ ही कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली खंडपीठ ने नगर निगम शिमला प्रशासन को आदेश जारी किए यदि कोई दुकान सबलेट की है तो भी उसे तुरंत सील किया जाए. बता दें कि इस संदर्भ में हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी. याचिका में कहा गया है कि आजीविका भवन में कुछ दुकानों को सबलेट किया गया है. इसी याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को हैरतनाक तथ्य बताया गया था कि आजीविका भवन में दुकान हासिल करने वालों ने आगे भारी-भरकम किराए पर सबलेटिंग की है और खुद फिर से तहबाजारी में सड़क किनारे फड़ी लगा रहे हैं.
हाईकोर्ट ने नगर निगम प्रशासन से कहा कि ये गंभीर मामला है. हाईकोर्ट की खंडपीठ ने नगर निगम शिमला के कमिश्नर को आदेश दिए कि वो मौके पर जाएं और फिजिकल वेरिफिकेशन यानी भौतिक सत्यापन करें. कमिश्नर को साथ ही ये भी आदेश दिए गए कि फिजिकल वेरिफिकेशन के बाद कोई दोषी पाया जाए तो उसकी दुकान को तुरंत सील किया जाए. उल्लेखनीय है कि पहले शिमला के रिज मैदान से लक्कड़ बाजार की तरफ जाने वाले रास्ते में तिब्बती मार्केट के नाम से कई दुकानें थीं. उन्हें वहां से सर्कुलर रोड पर लिफ्ट के पास बने आजीविका भवन में शिफ्ट किया गया है. उनके साथ कई अन्य तहबाजारियों को भी आजीविका भवन में दुकानें आवंटित की गई हैं. आरोप है कि उनमें से कुछ लोगों ने आगे सबलेटिंग की है.