न्यूज़फ्लिक्स भारत, हिमाचल। भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा की राष्ट्रीय सोशल मीडिया प्रभारी अणिमा सोनकर ने शिमला में आयोजित एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस का इतिहास आरक्षण, संविधान और डॉ. अंबेडकर विरोधी है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने अपनी हालिया अमेरिकी यात्रा के दौरान कहा है कि वह “आरक्षण हटा देंगे”. ये वही धुन है जो राहुल गांधी का परिवार नेहरू के जमाने से गाता आ रहा है. कांग्रेस पार्टी ने 57 वर्षों तक देश पर शासन किया, लेकिन इस दौरान उसने अपने राजनीतिक उद्देश्यों को साधने के लिए संवैधानिक प्रक्रियाओं का दुरुपयोग किया और सामाजिक उद्देश्यों की उपेक्षा की. कांग्रेस ने कभी भी संविधान के मूलभूत आरक्षण सिद्धांतों को सही भावना और रूप में लागू करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं दिखाई.
उन्होंने कहा कि जवाहर लाल नेहरू ने 1956 में पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने की काका कालेलकर रिपोर्ट को खारिज कर दिया था. नेहरू ने 1961 में मुख्य मंत्रियों को पत्र लिखकर कहा कि आरक्षण से अक्षमता और दोयम दर्जे का मानक पैदा होता है. नेहरू ने डॉ. अंबेडकर के सामाजिक व राजनैतिक जीवन को समाप्त करने का षड्यंत्र किया. 1952 के लोकसभा चुनाव और 1954 के लोकसभा उपचुनाव में डॉ. अंबेडकर को हराने का पाप किया. उन्होंने कहा धारा 370 और 35ए को समाप्त कर जम्मू कश्मीर के अनुसूचित जाति वर्ग को 70 वर्ष बाद सामाजिक न्याय व सम्मान देने का काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने किया.
उन्होंने कहा 1975 में इंदिरा गांधी जी ने आपातकाल लगाकर संविधान की आत्मा को कुचला था. इंदिरा गांधी ने मंडल आयोग की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डालकर ओबीसी आरक्षण में देरी की. 1966 से 1977 तक संविधान में 25 बार संशोधन हुआ. 42वें संशोधन में 41 अनुच्छेदों में संशोधन और 11 नए अनुच्छेद जोड़े गए. 2014 के बाद मोदी जी के कार्यकाल में संविधान में केवल आठ बार संशोधन हुआ था. यह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग के हितों को ध्यान में रखते हुए किया गया था.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी ने 3 मार्च 1985 को एससी आरक्षण पर टिप्पणी करते हुए यह कहा था कि आरक्षण के माध्यम से हमे बुद्धुओं को बढ़ावा नहीं देना चाहिए. राजीव गांधी ने मंडल आयोग की रिपोर्ट का विरोध किया और 1990 में लोकसभा में आरक्षण का पुरजोर विरोध किया व मुसलमानों को आरक्षण देने की वकालत की, जो बाबासाहेब के मूल संविधान के खिलाफ था.
हिमाचल में पीएम मोदी सरकार ने 2017 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) को संवैधानिक दर्जा दिया. 2019 में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षण की शुरुआत की. 2019 में वित्त आयोग और संविधान की छठी अनुसूची से संबंधित प्रावधानों में संशोधन, 2019 में लोकसभा और विधानसभाओं में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) आरक्षण का 10 वर्षों के लिए विस्तार किया गया. 2021 में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपनी ओबीसी सूची में परिवर्तन करने का अधिकार प्रदान किया गया.