न्यूजफलिक्स भारत : दिल्ली | स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 156 फिक्स डोज कांबिनेशन दवाओं पर प्रतिबंध मामले में दवा उद्यमियों के लिए दिल्ली हाई कोर्ट से राहत मिली है। अब दवा उद्यमी बाजार में उन दवाओं को बेच सकते हैं, जिन्हें उन्होंने आदेश आने से पहले ही तैयार कर लिया है और भारत सहित दुनिया के अलग अलग शहरों में पहुंच चुकी हैं। इन दवाओं के बेचने पर किसी तरह का फिलहाल प्रतिबंध नहीं होगा। दिल्ली हाई कोर्ट ने दवा उत्पादकों से यह भी रिकार्ड जमा करवाने के आदेश दिए हैं कि उनकी कितनी दवाएं भारतीय बाजार में निकल चुकी हैं और कितनी दवाएं उनके पास उपलब्ध हैं। यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि वह उपरोक्त दवाओं का कोई नया बैच तैयार न करे। हालांकि यह राहत उन दवा कंपनियों को मिल रही है, जिन्होंने कोर्ट में जाकर अपना पक्ष रखा है और कोर्ट की तरफ से वांछित जानकारी उपलब्ध करवाने की शर्तें पूरा करने में दिलचस्पी दिखाई है।
बता दें कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने देश के फार्मा उद्यमियों द्वारा तैयार की जाने वाली फिक्स डोज कांबिनेशन की 156 ड्रग्स पर प्रतिबंध लगाया था। इस प्रतिबंध का आधार ड्रग टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड की रिपोर्ट को माना गया था। बाेर्ड ने इन दवाओं पर काफी समय तक रिसर्च करने के बाद इस कांबिनेशन पर प्रतिबंध लगाने की अनुशंसा की थी, जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय तुरंत प्रभाव से इस आदेश को 12 अगस्त से ही लागू कर दिया था। इन आदेशों के बाद देश भर के हजारों फार्मा उद्यमियों में हडकंप मच गया और हजारों करोड़ का नुकसान का आकलन करने के बाद उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट की शरण ली। इस मामले में अब तक कई फार्मा उद्यमी दिल्ली हाई कोर्ट की शरण में पहुंचे और उन्हें अब अपनी दवाओं के स्टॉक खत्म करने तक उपरोक्त दवाओं की सेल करने में राहत मिल चुकी है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा इससे पहले भी फिक्स डोज कांबिनेशन पर प्रतिबंध लगाया था। उसके बाद देश के फार्मा उद्यमियों ने कोर्ट में पहुंचकर अपने स्टॉक खत्म होने तक की अनुमति मांगी थी, क्योंकि ड्रग टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड का निर्णय था,परंतु कोई भी पेशेंट पर किसी का दुष्प्रभाव नहीं सिद्ध हुआ था अतः कई सारी बड़ी कंपनियों ने माननीय दिल्ली हाईकोर्ट के सामने तथ्य रखे और उन्हें अपने स्टॉक को बेचने की अनुमति को दिल्ली हाई कोर्ट से राहत मिल गई। उसी आधार पर अब कई बड़ी और छोटी दवा कंपनियों ने इस दिशा में माननीय दिल्ली हाईकोर्ट से गुहार लगाई है और उन्हें राहत मिलने लग गई है,परंतु करोड़ों रुपए का पैकिंग मैटेरियल का नुकसान देश की सभी कंपनियों को हो रहा है,और सभी का मत है की अगर केंद्र सरकार ऐसे आदेश लाने के निर्णय लेने से पहले अगर उनके एसोसिएशन प्रतिनिधियों से यह बात कर लेती तो ऐसी नोटबंदी वाले हालत पैदा नहीं होते,जिसमे कंपनिया अपना बिजनेस छोड़कर माननीय हाईकोर्ट पर दस्तक दे रही है।
डॉ.राजेश गुप्ता, राष्ट्रीय अध्यक्ष, लघु उद्योग भारती फार्मा विंग, राज्याध्यक्ष्य, हिमाचल दवा निर्माता संघ।