नेपाल में हो रही भारी बारिश ने भारत के सीमावर्ती राज्य बिहार में गंभीर बाढ़ की स्थिति पैदा कर दी है। नेपाल से बहकर आने वाली गंडक और कोसी नदियों ने बिहार के 50 से अधिक स्थानों पर तबाही मचाई है। तटबंधों को तोड़ने की आशंका के साथ ही राज्य के वाल्मीकि नगर और बीरपुर बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद बिहार के बड़े हिस्से में बाढ़ का खतरा गहरा गया है।
बिहार के कई जिलों में बाढ़ का कहर
राज्य के जल संसाधन विभाग के अनुसार, शनिवार को बीरपुर बैराज से 5.31 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिससे कोसी और अन्य नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। तीन दिन से लगातार हो रही बारिश के कारण गंडक, कोसी, बागमती, महानंदा, बूढ़ी गंडक, कमला बलान और गंगा जैसी नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर चुका है। इसका असर बिहार के पश्चिमी और पूर्वी चंपारण, अररिया, गोपालगंज, मधुबनी, और कई अन्य जिलों में देखने को मिल रहा है, जहां हजारों लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं।
गंगा तटवर्ती जिलों में भी बाढ़ की चपेट
बिहार के 13 जिलों, जिनमें पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, अररिया, किशनगंज, गोपालगंज, शिवहर, सीतामढ़ी, सुपौल, सिवान, मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया और मधुबनी शामिल हैं, बुरी तरह से बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। इन जिलों के 20 प्रखंडों की 140 ग्राम पंचायतों में रहने वाले लगभग 1.41 लाख लोग पलायन करने को मजबूर हैं। इससे पहले बक्सर, भोजपुर, सारण, पटना और अन्य गंगा तटवर्ती इलाकों में भी बाढ़ का कहर जारी था।
56 वर्षों बाद कोसी में इतना पानी छोड़ा गया
कोसी नदी में इतनी बड़ी मात्रा में पानी 56 वर्षों बाद छोड़ा गया है। प्रमुख सचिव संतोष कुमार मल्ल के अनुसार, 1968 में कोसी बैराज से 7.88 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। इसी प्रकार, वाल्मीकि नगर बैराज से भी 4.49 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जो 2003 के बाद सबसे ज्यादा है। जल संसाधन विभाग तटबंधों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठा रहा है ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके।
बिहार के विभिन्न हिस्सों में पानी का यह कहर अब तक हजारों लोगों को अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर कर चुका है, और कई इलाकों में राहत और बचाव कार्य जारी हैं।
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