विपक्ष के दबाव में सरकार का यू-टर्न, लेटरल एंट्री से होने वाली भर्ती का विज्ञापन होगा रद्द

केंद्र सरकार लेटरल एंट्री के तहत होने वाली भर्तियों के विज्ञापन को रद्द करने का फैसला कर रही है। इस संबंध में कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के मंत्री जितेंद्र सिंह ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को पत्र लिखकर इस विज्ञापन को रद्द करने का अनुरोध किया है। यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चर्चा के बाद उठाया गया है। लेटरल एंट्री से नियुक्तियों का विज्ञापन जारी होते ही विपक्ष ने सरकार पर तीखे हमले शुरू कर दिए थे।

यूपीएससी ने 18 अगस्त को विभिन्न मंत्रालयों में ज्वाइंट सेक्रेटरी, डायरेक्टर और डिप्टी सेक्रेटरी के 45 पदों पर स्पेशलिस्ट की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। इन भर्तियों को लेटरल एंट्री के माध्यम से किया जाना था। विपक्ष ने इसे लेकर तीखा विरोध जताया और इस कदम को आरक्षण छीनने की साजिश बताया। लेटरल एंट्री के जरिए प्राइवेट सेक्टर के पेशेवरों को बिना पारंपरिक प्रक्रिया के मंत्रालयों में उच्च पदों पर नियुक्त होने का मौका मिलता है।

लेटरल एंट्री के माध्यम से कितने लोग मंत्रालयों में कार्यरत हैं?

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने 9 अगस्त, 2024 को राज्यसभा में जानकारी दी थी कि पिछले पांच वर्षों में लेटरल एंट्री के माध्यम से 63 पदों पर नियुक्तियां की गई हैं। इनमें से 57 अधिकारी वर्तमान में विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में संयुक्त सचिव, निदेशक, और उप-सचिव स्तर के पदों पर कार्यरत हैं। लेटरल एंट्री के जरिए होने वाली ये भर्तियां आमतौर पर 2-3 वर्षों के कॉन्ट्रैक्ट पर आधारित होती हैं, और कुछ मामलों में नियुक्त व्यक्ति के प्रदर्शन के आधार पर कॉन्ट्रैक्ट की अवधि बढ़ाई जा सकती है।

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