न्यूज़ फ्लिक्स भारत। एमएसपी कानून लागू करने और अन्य मांगों के लेकर लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे किसान शुक्रवार दोपहर एक बजे शंभू बॉर्डर से पैदल दिल्ली कूच करेंगे. शंभू-खनोरी बॉर्डर पर करीब 10 हजार किसान जमा हो गए हैं. इन्हें रोकने के लिए हरियाणा ने दोनों बॉर्डरों पर अर्द्धसैनिक बलों की 29 कंपनियां तैनात की गई हैं. किसानों के दिल्ली मार्च के मद्देनजर पुलिस ने अंबाला-दिल्ली सीमा पर सुरक्षा कड़ी करते हुए बैरिकेडिंग कर दी है. किसानों की प्रमुख मांगों में एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की कानूनी गारंटी, किसान ऋण माफी, बिजली संशोधन विधेयक 2020 को वापस लेना, और कृषि कानूनों के तहत लंबित मुद्दों का समाधान शामिल है. उनका कहना है कि केंद्र सरकार ने किसान आंदोलन के समय किए गए वादों को अब तक पूरा नहीं किया है.
किसानों का 101 सदस्यीय मरजीवड़ा जत्था जाएगा. उनको हरियाणा की सीमा में दाखिल करवाने के लिए पीछे-पीछे 150 सदस्यीय रेस्क्यू टीम रहेगी. दूसरी तरफ, किसानों को रोकने के लिए हरियाणा पुलिस ने एहतियातन शंभू बॉर्डर पर सात स्तरीय बैरिकेडिंग कर दी है. सीमेंट की दीवारों के साथ लोहे की कीलें व कंटीली तार लगाई गई है. इनके अलावा वाटर कैनन वैन व आंसू गैस के गोले फेंकने वाले ड्रोन से सुरक्षा चक्रव्यूह और मजबूत किया गया है. हरियाणा पुलिस ने आगामी आदेश तक पुलिस कर्मियों की छुट्टियां भी रद्द कर दी हैं.
वहीं, किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि मार्च अपने 297वें दिन में प्रवेश कर गया है और खनौरी सीमा पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल 11वें दिन में प्रवेश कर गई है. दोपहर 1 बजे, 101 किसानों का एक ‘जत्था’ निकलेगा. किसानों ने स्पष्ट किया है कि उनका यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण होगा. उन्होंने कहा कि यह आंदोलन केवल उनके अधिकारों और अस्तित्व के लिए है. किसानों का कहना है कि अगर उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो उनका आंदोलन और तेज होगा. गौरतलब है कि इससे पहले भी किसान आंदोलन ने केंद्र सरकार को कृषि कानून वापस लेने पर मजबूर किया था. अब किसान एक बार फिर अपनी लंबित मांगों को लेकर मैदान में उतर चुके हैं. इस आंदोलन पर पूरे देश की नजर है, क्योंकि यह किसानों के मुद्दों और उनके संघर्ष को नई दिशा दे सकता है.